________________
www.kobahirihora
चंद्रराजपरित्रम् ॥
पृष्ठम्
२
पत्रम्
पृष्ठम्
पत्रम् P] १३४
|
पङ्किः
पङ्किः १० १४
अशुद्धम् वन्द्र तथे
अशुद्धम् शुद्धम् पराङ्ग पराक गोष्टींगोष्ठी
शुद्धिपत्रम् ।
१
१०
शुद्धम् चन्द्र तथैव यत्र कृतिजन धमै भुञ्जानयो
। १६२ । १६५
निजाङ्ग
निजाङ्ग
__,
१४
कृतिज
EFFEEEEEE
भुञ्जमानयों
आयुषा आयुषो सर्वथैतै सर्वथैते तरङ्ग तरङ्ग दुखत दुःखत चिन्त। चिन्ता स्वान्तभवि स्वान्तर्भाव
१३६
,
११ ।
बतीं
वती
१७४
,
७
दम्मती वृत्तातं विराजत
दम्पती वृत्तान्तं विराजते
For Private And Personale Only