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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जगतमें सबसे हम है सारा. आशावरी. जगदमें सबसे हम है सारा, सर्वद्रव्य निजधर्मसें सारा, कोउ न वर्ते नठारा....................................जगदमे । सापेक्षासे सारा नठारा, मन बुद्धिसें विचारा; जड चेतन निजभावसें सारा, ए सब है व्यवहारा. जगत्में० १ चिदानंदमय ब्रह्म प्रभु है, आतम हम निर्धारा: जड जग करत है सेका हमारी, निश्चयसें अविकारा. जगत्में० २ निश्चयनयसें कर्म न हम है, हम है आतम प्यारा; अनंत गुण पर्यव एकरूपी, राम रू रोषसे न्यारा. जगत्में० ३ देना नहि आतम धिक्कारा, ज्ञानानंद आधारा; बुद्धिसागर आतम हम है, निश्चय उपयोग धारा. जगत्में० ४ हमारा मनका नहि है ठिकाना. हमारा मनका नहि है ठिकाना, गति हमारी हमहि जाने; हमकुं विसरजाना........................ ................हमारा; गुरुगमबिन मत्कृतभजनोपर, आकीनकुं नहि लाना: जिनवर गणधर ऋषि मुनिवरकी, वाणी करणी प्रमाना. हमारा०१ बुद्धि हमारी नबबहुरंगी, प्रभुपरभये है दिवाना; हम है हमारे तानमें रसिये, हमकुं न छेडो श्याना. हमारा० २ हमकुं कबहु नहिं अनुसरना, करना महावीरध्याना; बुद्धिसागर अनंत ब्रह्महै, आपोआप मकाना. हमारा०३ For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
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