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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हमने ध्यानपतंग उडाया. आशावरी हमने ध्यानपतंग उडाया, उलटीअखियांसे देखत हम; सुरतातान लगाया........................हमने ... अनुभवज्ञानकी दोरी लंबी, उसका पार न पाया; आतमगगनमें उंवा उडता, आनंदल्हेरे सुहाया. हमने १ श्रुतज्ञानका दीपक साथे, बुद्धिपकाश बढाया; बुद्धिसागर केवलज्ञानकी, ज्योति ज्योति समाया. इमने०३ आतम!!! तुम सबसे हो म्यारा. __आशावरी. आतम तुम सबसे हो न्यारा, नामरूपस भिन्न निरञ्जन: चिदानंदआधारा................................आतम० नामरूपमें आतम तुम नहि, यशअपयशसें न्यारा; दुनिया देखत सो नाहि तुम हो, आप स्मरी लें प्यारा. आतम० १ पुण्य पाप फल सुख अरु दुःखसें, मानापानसे न्यारा: उच्च नहि अरु नीच नहीं तुम, मोहका सब है पसारा. आतम० २ अन अविनाशी अलख अरूपी, ज्ञानसें है उजियारा; बुद्धिसागर परब्रह्म तुम, मिटगया सब अंधियारा. आतम०३ हमने अनहदवाद्य बजाया. सोरठ. हमने अनहदवाद्य बजाया, तनमनना भान ज बिसराना; पार न ध्वनिका पाया.... .... .... ....हमने सर्ववत्तियां तन्मय होकर, आप हि आप सुनाया। आप हि गाया आप हि पाया, अनहद आनंद छाया. हमने० १ For Private And Personal Use Only
SR No.008545
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages198
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size9 MB
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