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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३७० Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir समजीने व्यवहारधर्मने हेते पाळो, आतमधर्मे लीन थइने जीवन जीवन गाळो यथाशक्ति अभ्यास करो शिक्षा दिल धारी, निंदादिक जे दोष कपट मिध्याने वारी: ज्ञानक्रियाथी मोक्ष के निश्चय ने व्यवहारमां, सर्वविरतिसाधनाथी साधुना अवतारमां । ६९|| शुं ? छे नयव्यवहार तेहनुं ज्ञान न होवे, निश्चय शुं ? कद्देवाय ज्ञानथी तेह न जोवे; शुद्धक्रिया व्यवहार तेहने निश्चय माने, त्यागे छे व्यवहारधर्मने मिथ्याज्ञाने; सत्यासत्य न पारख्युं हठ कदाग्रहजोरथी, पुष्टालंबन त्यागोने वर्ते मिध्यातोरथी. ॥७०॥ पुष्टालंबन गुरु ग्रहो तो मुक्ति पासे, गुरु विना नहि ज्ञान जिनेश्वर वाणी भासे; सत्संगम छे मुनि गुरुनो शिव सुखकारी, भवपाथोदधि नाव मुनिवर मंगलकारी; अनुभव अमृत पामोए गुरुभक्तिथी जाणीए, गुरु, पिता ने मात भ्राता मनमांहि ते आणीए ॥ ७१ ॥ गुरु वचनामृत पान कर्याथी समता पावे, गुरुपद पंकज नमन कर्याथी लघुता आवे; गुरुनी आज्ञा शीर्ष धर्याथी पाप प्रणाशे, गुरु विनये छे शाश्वत सुखडां सत्य प्रकाशे: मुनिगुरुनी भक्तिथी आतम निर्मळ कीजीए, सद्गुरु मुनि संगतिथी अनुभव प्याला पोजीए. ॥७२॥ For Private And Personal Use Only
SR No.008544
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1923
Total Pages486
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size20 MB
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