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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चन्दन अने जल जेवा गुण होय सज्जनमां; धीनिधि सज्जन जग धन्य अवतार छे. ॥२॥ विद्यार्थि लक्षण. मनहरछन्द. विनय विवेक होय सरल स्वभाव होय; भणवानी चीवटमां मनहुँ सदाय छे,, आलसने खाळवामां दोष वृन्द टाळवामां; नीति रीतभात मनमांहि नित्य च्हाय छे. प्रभातना प्रहरमां उठीने अभ्यास करे; स्थिर एक चित्तथकी भणे सहु पाठने, ब्रह्मचर्य धारी वारी विषयनी पाप वात; तजे सहु मोजशोख मारवाना ठाठने. ॥१॥ शिक्षकनी हिताशख हृदयमा धारे सहु; बकध्यान पेठे चित्त विद्यामां सदाय छे, विचारीने बोले बोल करे साच जुठ तोल; देशी वेष औषधथी जीवन गळाय छे. मातपिता नमन करे छे दिन प्रतिदिन बीडी आदि व्यसननो जेने नित्य त्याग छ, मृत्युनो न भयगणे पाठ प्रेमथकी भणे; धीनिधि मुशिष्य जगमांहि महा भाग्य छे. ॥२॥ शिष्यलक्षण. मनहरछंद. विनय सदाय धरे गुरु वैयावृत्य करे, गुरुने वन्दन करे बहुमान प्रेमथी; For Private And Personal Use Only
SR No.008537
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1908
Total Pages330
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size13 MB
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