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________________ વિવરણ [३९ पत्र-पृष्ठ चित्रांक चित्र परिचय प्रस्तुत चित्रांक श्रीसुपार्श्वजिन समवसरण । विरुद्ध जीव देसणा श्रुण्य ति सोमा नाम पत्नी दीक्षा दीयते । परत्तिणीपदे स्थापिता। अनेक भव्यजना दीक्षां गृहणन्ति देशना प्रतिबुद्धा श्रीनंदवद्धणपुगधिपति गजा भोषिजय घड़ण प्रतिबुद्ध । दीक्षा गृहीता। श्रीसुपार्श्व देशनां कुरुते पादपद्मभ्रमर राजा दानविरति । सम्यक्त्वादि सातीचार द्वादश व्रतादि व्याख्यान ७६-२ कुमुदचंद्र उपाध्याय चपकमाल पठाबवति कालिकादेवी बीस भूमा। भीमकुमारमित्र। कापालिक रूप। भीमकुमर: शिलां क्षिपति । भीमकुमर रूपः। तत्र हस्त । खने गृन्हाति । कृष्णभुजारुटो आकाशे व्रजाति भीमः । महिषारूढा देवी रुंडमालहारा २६६-२ ३. उपर सहकारतले भूतज्ञानिनं मुनि कीरी नमस्करोति नीचे-रिपुमर्दन राजा शुकः शुकी नवादं कुर्वति ३३२-२ ३१ साबी बाजू-राज्ञश्चरणे स्मशानभूमिकायां खेताला नमति जमणी बाजू-वेताका धावि विविधरूपा ३३३-२ ३२ डाबी बाजू-राजा सभायामुपविष्टः। वेतालछत्रं धरति जमणी बाजू-वेताला नृत्यति । एक: तुलाहस्ते नृत्यति वृद्धरूप: डाबी बाजू-राजा सभायां उपविष्टः । विकम राजा जमणी बाजू-माकाशात् खेटक खड्गधारी वेताल उत्तरित:1 ८८ बेताल युद्धं करोति राजपुरुषैः सार्धम् "Aho Shrutgyanam"
SR No.008469
Book TitleJain Chitra Kalpadruma 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSarabhai Manilal Nawab
PublisherSarabhai Manilal Nawab
Publication Year
Total Pages238
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size15 MB
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