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________________ श्रीबृहद् धारणायंत्र । (१३६) भालं नासाषयणं गीव हिअय नाहि गुज्झ जाणुअ मासीण बिंब माणं पूज्वविहि अंकसंखाइ (८ स्थान). मुहकमलं वउदसंगुलं कन्नतरि विच्छरे दहग्गिवा छत्तिसमुरपएसे सोलहकडि सोलतणुपीड ८ कन्नुदयसोल(१)वित्थरि--- चउ उवरे तिनिठिओलिख्खणं नध्धु तिवित्थरि दुदएसि सिरिववच्छो दुदुइत्तिय पिहुओ . सिरिवच्छ सिरिण कक्खं- तरंमि तहस पणसयपण कम्मा मुणि चउ रविट्ठा वेआ कुहणी मणिबंध जंध जाणु पयं १० अंगुह सहिय करयल ऽसतंगुलस्स वित्थारे चरणं सोलस दिहे तयध्ध विच्छि भवउ रूदो ११ छम्भाय अहरदीह चक्खुपण दोहधपिहुउत्ते तिनिलिहिणं चउनाडी नासा-उर-नाहि मुत्तेगं १२ केसंतसिहा ५ गदिक्ष ८ पंचर कम्मेणं अंगुला जाए पउमट्टरेहचक्कं करचरणाविहुसियं निव्वं १३ (१४.) घरिस सयाओ उड्ड जं बिवं उत्तमेहि संठविधे विअलंगुवि पुजा तं विवं निष्फलं न जओ १४ (भा० वि.) मुह नक नयण नाही करिभंगे मूलनायगं वयह आहरण बच्छ परिगर विधाऽऽउह भंगी पूइज्जा १५ (१४) धातुरो(ले)हाइविवं विश्लंग पुणवि कीरिएसज्झ कहरयण सीलमयं नपुणो सउझ करावि (संस्कारः)१६ (१४५) पाहाणलेवक दंतमया वित्तलिहिअ जा पडिमा अपरिगर माणाऽहिआ ११ न सुंदरा पुअमाण गिहे १० (१४) इक्कंगुलाई परिमा इकारसजाव गेहि पुइझा (आ. वि.) उड्डु पासाइ पुणो इअभणिभं पूव्वसूरिहिं (१४२) नह अंगुलिय बाहा नासा पयभंगिऽणुक्कमेण फलंसत्तुभय देसभंग बंधणं कुलनास पव्व खयं १६ पय पीढ चिन्ह परिगर भंगेजाण मिस्बाहाणिकम्मे १८
SR No.008459
Book TitleBruhad Dharana Yantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherCharitra Smarak Granthmala
Publication Year
Total Pages112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size2 MB
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