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________________ स्थपति प्रभाशंकर ओघडभाइ. शिल्पविशारद सशोधित प्राचीन शिल्प स्थापत्य का अलभ्य साहित्य ___ ग्रन्थोका प्रकाशन १ दीपार्णवः-श्री विश्वकर्मा पणित शिल्पका प्राचीन महान ग्रन्थ-७६ + :८८=५५६ पृष्ठो; ३५० लाईन लोक रेखाचित्र; १०५ हाफटोन फोटा ब्लोको सहित मूल श्लोक और उनका गुजराती अनुवाद, मम और टीपणी आदि भरपुर संपूर्ण विवरण के साथका दलदार ग्रन्थ अध्याय २७ जिनमें प्रासादका संपूर्ण प्रमाणा अनेक देवदेवो भोंकी शिल्पाकृतियां अनेक प्लान इलिवेशन साथ दीये गये है । शिल्पका प्रत्येक अङ्ग प्रासाद विषय बहुत सुन्दर रीतसे दीया गया है । स्व. राष्ट्रपति डो. राजेन्द्रप्रासादजीने यह ग्रन्थकी प्रसंशाकरके रु. चारहजार पारितोषिक दीया । ना० जामसाहेब. पू मू गवर्नर श्री कनैयालाल मुनशीजी, और विद्वान पुरातत्त्वज्ञ डा. वासुदेव शरणजी अग्रवालजीने विस्तृत भूमिका दोहै । श्रीमद् शङ्कगचार्य नी तथा जैनाचार्य श्री विजयोदयमूरिश्वग्जीने ग्रन्थकी प्रामाणिकता, उपयोगिता और स्थाति श्री प्रभाशंकरभाइजीका दोर्य अनुभवकी प्रसंशाकी है । ५० पृष्ठकी विद्वद् पूर्ण प्रस्तावना पढनेसे सौंपादककी कुशलता और बिद्वताका परिचय होता है. इसमें ६० प्राचीन ग्रन्थो का प्रमाण दोया है । मूल्य रु. २५ डाकखर्च पृथक् प्रासाद मञ्जरी-मूल सहित हिन्दी अनुवाद पंदर शताब्दीका यह ग्रन्थ सूत्रधार मण्डनके कनिष्ठबन्धु सूत्रधार नाथजीने वास्तुमारी नामक बडाग्रन्थकी रचनाकी हे उसके मध्यका स्तबक प्रामाद विषय का संक्षिप्त रूप है । ग्रन्थमें ८० रेखाचित्र बहा है और हाफटोन फोटो ब्लोक २० है। इस ग्रन्धकी भूमिका एशिया खण्ड के सुप्रसिद्ध पुरातत्त्वज्ञ डो. वासुदेव शरणजी अयवालजीने लीखी है । जिसमें ग्रन्थकी और संपादक स्थपति श्री प्रभाशंकरभाइजीकी विद्वताका परिचय दीया है । इस ग्रन्थका अनुवाद टीप्पणसे भरपुर है अनेक शिल्पग्रन्थोका प्रमाण दीया गया है । मूल्य रु. ७ सात रु. डाकखर्च पृथक
SR No.008436
Book TitleVedhvastu Prabhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year1965
Total Pages194
LanguageGujarati, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Art
File Size5 MB
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