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________________ शुरुश्रृंगमें नोवेमे पराक्रमदेव अंतरपत्र सुरदेव नीमकीशिला प्राग्भारदेव कूटछाद्य पर्जन्य शिलामे वराह गर्भ गृहमे , मूलनायकदेव सूत्रपातरोध-----चिन्ताममि हरिशाखा सूर्य चंद्र नीचे परकाथरमें नागकुल ऊत्तरग त्रिमूर्ति पाणिनार में नागदेव शुर्दवरमे यक्ष कुभीस्तरमे जलदेव अधचंद्र अश्वीनीकुमार पुण्यक ठमे किन्नर काली पृथ्वी चिप्यिकामे पुप्पकाकुल: स्त भमे पर्वतदेव जाडबामे नदी धुमटमे आकाश कर्णिकामे हरि. आलिमे । ऋषिसध गजपीठमे गणेश प्रनाल गंगा यमुना अश्वपीठमे अश्विनी । चंडेश गोमती नरपीठमे नरदेव । शीखरका पांच । ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य खरामे पृथ्वी-क्षमा इश्वर, सदाशिव कुंभामे त्रियसध्या शीखरमे इश्वर कम्शमे पार्वती... अंतरपत्र कुबेर आमलासगला अम्बरदेव केवाल गंधर्व गोलअंड निशाचर अंतरपत्र किन्नर चंद्रस पन्नाक्ष বিকা शारदादेवी कलशमे रुद्र-सदाशिव जधामे लोकपालदिग्पाल प्रासादउपा कर्ण सपो उमग गणेश्वरदेव प्रतिरथ धाम भरणमे सावित्रि रथ अघोर शीराषष्टी नही तत्पुरुप कैवाल विद्याधर भद्र इश .. उपरोक्त प्रासादके अंगमें देवताओंके आव्हाहन करनार देवपूजापासायका थर, स्वभ, पीठ और मंडोवर आदिमे देवताओंका आव्हाहेन करके पूजाकरना. उसका लोप होवे तो प्रासादका पुण्यफल निष्फल होता है।
SR No.008436
Book TitleVedhvastu Prabhakara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year1965
Total Pages194
LanguageGujarati, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Art
File Size5 MB
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