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________________ प्रेरक प्रेरणासूचक नई कर्या पछा लु +अ लुअं लुदं, लुतं (लूनम् ) हू +अ-हूअं हुई, हूतं ( भूतम् ) प्रेरक भू० कृ०-- १ धातुने प्रेरणासूचक आवि ' प्रत्यय लगाड्या पछी अथवा धातुना उपान्त्य 'अ' नो दीर्घ कर्या पछी भूतकृदंतनो 'अ' प्रत्यय लगाडवाथी तेनुं प्रेरक भूतकृदंत बने छे. कर- करावि+अ--कराविअं कराविदं, करावितं (कारितम् ) कारि+ अ-कारिअं कारिद, कारितं हस-- हसावि+अ-हसाविअं हसाविदं, हसावितं (हासितम्) हासि+ अ-हासिअं. हासिदं, हासितं इत्यादि आर्ष ग्रंथोमां के अर्वाचीन प्राकृतमा केटलेक स्थळे संस्कृतनां सिद्धरूपो उपरथी पण भूतकृदंतनां रूपो बनाववामां आव्यां छः गतम्- गयं । मतम्- मयं । कृतम्- 'कडं । . हृतम् - हडं । मृतम्-. ... .. मर्ड। जितम्- जि। तप्तम्- तत्तं । वगेरे भविष्यत्कृदंत-- धातुना अंगने • संत' ' समाण' अने सई' प्रत्यय लगा१ जूओ पार्नु ६६-त-ड. २ स्स + अंत = स्संत । स्स+माण- समाण । स्स + ई = सई. जूओ पृ० २९९ वर्तमानकृदंत.
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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