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________________ २०६ ४ संबोधनना एकवचनमां ईकारांत अने उकारांत नामोनो अत्य स्वर ह्रस्व, थाय छे अने बहुवचन प्रथमानी जेवुं थाय छे. ५ संबोधनना एकवचनमां इकारांत अने उकारांत नामोना अंत्य स्वरनो दीर्घ विकल्पे थाय छे अने बहुवचन प्रथमानी सरखं थाय छे. ६ जे आकारांत शब्दोनुं मूळ (संस्कृत) रूप अकारांत होय छे, ते शब्दोना अत्य ' आ ' कारनो, संबोधनना एकवचनमां 'ए' विकरूपे थाय छे अने बहुवचन प्रथमानी सरखुं थाय छे. ७ संबोधनना एकवचनमां, बीजा 'आकारांत शब्दोनुं मूळरूप ज वपराय छे अने बहुवचन प्रथमानी सरर्खु थाय छे. विशेषता शौरसेनी, पैशाची अने मागधीमां पण स्त्रीलिंगी नामोने प्राकृतना ज प्रत्ययो लगाडवाना छे. मात्र मागधीमां छट्ठी विभक्तिमां फेर छे अने ए आ प्रमाणे छे: फक्त आकारांत नामोने मागधीमा छट्ठीना एकवचनमां ह : 1 ? ; प्रत्यय अने बहुवचनमां हैं प्रत्यय लागे छे जेमके, मालाह माला हूँ स्त्रीलिंगी नामोने लागता अपभ्रंश प्रत्ययो एकव ० प० बी० - ० O १ जूओ पृ० २०४ मि० ५, बहुव० उ, ओ, ङ, ओ, ० ०
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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