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________________ १७६ तृतीयपरिशिष्टे - २४ ३ ~ R शब्दः, लिङ्गम् , पृष्ठ-पती शब्दः, लिङ्गम् , पृष्ठ-पती | शब्दः, लिङ्गम् , पृष्ट-पती शब्दः, लिङ्गम् , पृष्ठ-पक्की सपल्लव पुंन० ७६ ४६ समुद्र न. ___ ३६ ५ सामर्थ्य न. ३८ ५५ सवन न. सप्तकी श्री. ८ समुद्र पुं. न. ८१ ५ सामिधेनी स्त्री० २१ ३३ सप्तति स्त्री. २४ ७४ समुद्रान्ता स्त्री० २१ २९ सविध न. ४२ २६ सामुद्र न. ३७ ७२ सप्तन् अलि. ४५ समूह पुं० ९ १सवेश न. २५ साम्परायिक न० ४२ सप्तभूम न. २२ ४६) समूह्य पुं० १३ ६८ सस्य न० सायक पुं. सप्तरात्र पुंन० ३२ सम्पद् स्त्री. ४१ सह पुंन. ७४ ५८ साय न. सप्ताह पुं० १८ ४३ सम्पराय पुं० ९ ४८ सहस् न. ३९ ३२| सायम् अव्य. सप्ति पुं० ४७ सम्पराय पुन सहचर पुंस्त्री. २९ साय पुं० समा स्त्री. २९ १८ सम्पा स्त्री. १९ ७० सहज पुं० ३४ सायाह्न पुं. सम आ.लि. ४० सम्प्रदान न० | सहदेव पुंस्त्री. समज पुं. सम्प्रहार• पुं. ८ ४८ सहस्र पुन० २ समज्या स्त्री० ४८ सम्बाध पुं० ९ ५३ सहस्रवीर्या स्त्री० २१ समपाद न. ४५/ सम्भव पुं० ६ २७| सहस्रवेधिन् पुंन० ४१ ५७ समय पुंन० | सम्भ्रम पुं० ९ २९. सहा स्त्री. ५८ सारथि पुं० समर पुन सम्मद पुं० ७ ३३ / सहस् पुं० १८ सारथि अलि. समर्याद न. ४२ २३ सरसू नस्त्री. ८२ ६२ सहस् पुं० ३७ सारस पुंन. समवर्तिन् पुं० १२ ४२/ सरक पुंन. ४१ सहायता स्त्री. ६४ सारसन न० समा स्त्री० २६ ३४ सरक वि०लि. सह्य पुं० । सारिका स्त्री० समा स्त्री०ब०१० २६ ३४ सरघा स्त्री० २१३६सय न० ३१ सार्ववैद्य न० समाज्ञा स्त्री० २९| सरणि स्त्री० सह्य आ.लि साल पुंन. समाधि पुं० १० २८ सरल पुं० १२ साराविण न. ५२ साला स्त्री० समान पुन ६९ ४९ सरसीरुह न. सागर पुं० साना स्त्री० समानी स्त्री० ८३ २१ सरस्वती स्त्री० साग्र न. साहस न. साहौटिन न. समासन न० ४२ २४ सरखत् पुं० १२ १८ सार्थ पुं० समाह्वय पुं० ७ ३८ सरोरुह न. सालय न. ४० ४९ सिंह पुंस्त्री. साचि स्त्री समित् स्त्री. २४ ४७ सर्ग पुं० १ ३८ साति स्त्री सिंही स्त्री० समिति स्त्री० २३ ३२ सर्ज पुं० . १२ ५२ सात्त्वती स्त्री. सिकता स्त्री०ब.व. २६ समिध् स्त्री.. २४ ४९ सजेरस पुं० ११६|सादिन पं सिकता स्त्री० २६ समिधु स्त्री० ४१ १८ सर्जिका स्त्री० २६ ६४ सादिन् अ०लि. ८६ सिक्थ न०१ ४. १३ समिधि स्त्री० २१ ३३. सर्प पुं० १२ ४८ साधन न. ४३ १९ समिर पुं० १३ ४० सर्पिष् न. पुं० २ ४५ समीप न. ४२ २३ सर्म पुं. २६ साध्वस न. . सिचय पुं० समीर पुं० १३ ४० सर्व त्रिलि. १३ सानि स्त्री. सित आ.लि. १३ २ समुच्छ्य पुं. ७ ५६ सर्वतोभद्र पुंस्त्री. ९० ६४ | सानु पुंन. सित वा लि. २८ ६१ समुत्कर्ष पुं० ८ ४८ सर्वला स्त्री. ३० ५८ सान्तव न० | सित पुं० १२ . ७२ समुदय पुं० ६ ५७) सर्वाह्न पुं. ३६. सानाय्य न० सिता स्त्री. २८ २० समुदाय पुं. ६ ५७ सलिल न. ४० ७० सामन् न. | सिताम्र पुं० १ . समुद्र पुं० १४ १६] सल्लक पुंस्त्री० ५५ १६. सामग्य न०॥ सितालता स्त्री० २२ ७२ समुद्धरण न. ४५ ६९| सब पुं० २३ २६ ! सामग्री स्त्री० ३६ सिद्धान्त पुं० ६ १० २२ ९ ३९ २५ साधु न. ३
SR No.008409
Book TitleSwopagnyashabda maharnavnyas Bruhannyasa Part 1
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorLavanyasuri
PublisherJain Granth Prakashak Sabha
Publication Year
Total Pages522
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size16 MB
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