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________________ १३८ अभिमत १३९ विदाई की बेला ललितपुर (उ.प्र.) • यह कृति शान्तिपथ प्रदर्शिका बन सकेगी आपने बुजुर्गों को अपना शेष जीवन सार्थक करने की कला का दिग्दर्शन तो इस 'विदाई की बेला' कथा कृति में कराया ही है, जन सामान्य के लिए भी यह अनुपम कृति शान्तिपथ की पथ प्रदर्शिका बनेगी, पाठकों को सुखद जीवन की शुरूआत करने में सहायक होंगी। पूर्व में आपकी अनुपम कथाकृकत संस्कार तो पढ़ी थी। जनसामान्य की रुचि में परिवर्तन हेतु सरल भाषा व कथानक शैली में ये पुस्तकें लिखकर आपने भी अपने अनुज डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल की भाँति साहित्य की सभी विधाओं में महान योगदान किया है। ___ तत्त्व के प्रचार-प्रसार की गंगा-जमुना धारा के समान आपकी जोड़ी को समाज सदैव स्मरण रखेगा। - (श्रीमंत सेठ) राजेन्द्रकुमार जैन, विदिशा (म.प्र.) • एक अनुपम कार्य आपका 'विदाई की बेला' उपन्यास बहुत अच्छा लगा। आपने धार्मिक क्षेत्र में उपन्यास शैली अपना कर बहुत अच्छा-एक अनुपम काम किया है। सदासुखी और विवेकी पात्रों जैसी समाज में जागृति आवे और आप जैसे विद्वान साहित्य के सृजन व प्रचार-प्रसार द्वारा इस जनजागरण के काम को करते रहें - यही मेरी मंगल भावना है। - किरण भाई जे. कामदार, जैतपुर (गुज.) • सबसे रोचक व उपादेय कृति 'सामान्य श्रावकाचार' और 'विदाई की बेला' दोनों पुस्तकें बहुत उपयोगी हैं। इनमें विषय का प्रतिपादन बड़ी स्पष्टता से किया गया है। सबसे रोचक व उपादेय 'विदाई की बेला' लगी। इसमें कथा सूत्र जुड़ जाने से इसकी पठनीयता तथा बोधगम्यता बढ़ गई है। इन कृतियों के लिए आपको हार्दिक बधाई। - प्रसिद्ध साहित्यकार श्री यशपालजी जैन, नई दिल्ली • गूढ़तत्त्वों के प्रतिपादन की विलक्षण सूझ-बूझ _ 'विदाई की बेला' वास्तव में एक आध्यात्मिक कृति है। जैन दर्शन के गूढ़तत्त्वों एवं रहस्यों को आपने अपनी विलक्षण सूझ-बूझ से सरल एवं बोधगम्य बनाया है। आपकी रचनाओं में आपके गहन अध्ययन, परिपक अनुभव एवं तीव्र आध्यात्मिक अभिरुचि की अमिट छाप दृष्टिगोचर होती है। ____ हम आपके सुखद जीवन की कामना करते हुए भावना भाते हैं कि लोकहित की दृष्टि से आप इसी तरह के बोधगम्य भाषा-शैली के साहित्य का सृजन करते हुए धर्म के प्रचार-प्रसार में सतत संलग्न रहें। - डालचन्द जैन, (पूर्व सांसद) सागर (म.प्र.), अध्यक्ष, अ.भा. दिगम्बर जैन परिषद, दिल्ली • कृति मन को प्रभावित करती है 'विदाई की बेला' पढ़ी, बहुत अच्छी लगी। इतने सुन्दर ढंग से लिखी गई है कि मन को प्रभावित करती है। हमें यह इतनी अच्छी लगी कि हमने अजमेर में आयोजित सिद्धचक्र मण्डल विधान महोत्सव के अवसर पर ट्रस्ट की ओर से इसकी ३०० प्रतियाँ सभी साधर्मी भाईबहिनों को भेंट की। हम आशा करते हैं कि भविष्य में भी समाज को इसीप्रकार की सुन्दर, लाभप्रद, कल्याणमार्ग की ओर ले जाने में निमित्त रूप रचनायें पढ़ने को मिलेगी। - श्री हीराचन्दजी व्होरा मंत्री, वी.वि. स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, अजमेर • अनुपम कृति उपन्यासिक शैली में लिखी गई विदाई की बेला साहित्यिक दृष्टि से अनुपम कृति है। भाषा सरल, सरस व बोधगम्य है। कवर का गेटअप भी आकर्षक बन पड़ा है। उत्कृष्ट कृति के लिए लेखक को बधाई। - श्री अखिल बंसल (74)
SR No.008385
Book TitleVidaai ki Bela
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2007
Total Pages78
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size325 KB
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