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________________ २१४ श जिन्हें आत्मज्ञान उत्पन्न हुआ और शील की कसौटी पर भी जो खरे उतरे, उन जयकुमार और सुलोचना | ने एक दिन ऋषभदेव तीर्थंकर के पास जाकर वन्दना की और धर्मविषयक प्रश्न पूछें तथा अपनी शंकाओं का समाधान पाकर के अत्यन्त प्रसन्न हुए । ला ब अब श्र अ पु कालान्तर में उसने अपनी शिवकर महादेवी के पुत्र अनन्तवीर्य का राज्याभिषेक करके सम्पूर्ण चलअचल सम्पत्ति का त्याग करते हुए ऋषभदेव के चरणों में अपने अनेक पुत्रों सहित एवं अनेक भरतजी के पुत्रों के सहित दीक्षा ले ली और मुनिपुंगव जयकुमार आत्मोन्नति के शिखर पर पहुँचकर तीर्थंकर ऋषभदेव के ७२ वें गणधर बनें। सुलोचना ने भी भरत चक्रवर्ती की पट्टरानी सुभद्रा के समझाने पर ब्राह्मी आर्यिका के पास दीक्षा धारण कर ली। जिसे आगामी पर्याय में मोक्ष प्राप्त होनेवाला है - ऐसी वह सुलोचना चिरकाल | तक तप करके स्त्री पर्याय छेदकर अच्युत स्वर्ग के अनुत्तर विमान में देव हुई । 5 to 19
SR No.008374
Book TitleSalaka Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2004
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size765 KB
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