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________________ ६.०० लेखक के अन्य महत्त्वपूर्ण प्रकाशन एक प्रेरक पत्र Dr. Vishnu Saxena Dayal Clinic : Tahsil Road मौलिक कृतियाँ अब तक प्रकाशित प्रतियाँ कीमत |General Physician Sikandra Rao (Aligarh) 204215 STD Code : 05725 Phone : 44380 १. संस्कार (हिन्दी, मराठी, गुजराती) ५६ हजार ५०० १८.०० श्रद्धेयास्पद चरणवन्दन। २.विदाई की बेला (हिन्दी, मराठी, गुजराती) ८५ हजार १२.०० मेरे चरणवन्दन' लिखने पर आप अवश्य विस्मित होंगे। लेकिन ३. इन भावों का फल क्या होगा (हि.म., गु.)४९ हजार १८.०० आप मेरे लिए सर्वथा वन्दनीय इसलिए हैं कि एक तो आप मेरे ४. सुखी जीवन (हिन्दी) (नवीनतम कृति ) २३ हजार |पिता की आयु के हैं, दूसरे योग्यता में भी मुझ नगण्य से कई गुना ५. णमोकार महामंत्र (हि., म., गु., क.) ६७ हजार ५०० अधिक हैं। शायद आपको ध्यान हो मेरी आपकी भेंट गत वर्ष मेरठ में ६. जिनपूजन रहस्य (हि.,म., गु., क.) १लाख ७९ हजार २०० । ४.०० शाकाहार मेले में आयोजित कवि सम्मेलन मंच पर हुयी थी। मैं || ७. सामान्य श्रावकाचार (हि., म.,गु.,क.) ७१ हजार २०० ६.०० भी एक कवि के रूप में बैठा था; तब आपने हम सभी कवियों ८. पर से कुछ भी संबंध नहीं (हिन्दी) ८ हजार ७.०० को अपनी लिखी हुयी कुछ पुस्तकें भेंट की थीं। ९. बालबोध पाठमाला भाग-१(हि.म.गु.क.त.अं.)३ लाख ५२ हजार उन पुस्तकों को लाकर मैंने अपनी लाइब्रेरी में सजा दिया। १०. क्षत्रचूड़ामणि परिशीलन (नवीनतम) ८ हजार सोचा कभी फुरसत होगी तो पहँगा। कवि सम्मेलनीय तथा ११. समयसार : मनीषियों की दृष्टि में (हिन्दी) चिकित्सकीय व्यस्तताओं में वर्ष भर उलझा रहा, बरसात में मैंने १२. द्रव्यदृष्टि (नवीन संस्करण) आपकी उन किताबों का अध्ययन किया । एक तो अभी भी पढ़ ५ हजार ४.०० १३. हरिवंश कथा (द्वितीय संस्करण) १० हजार . पुस्तकें क्या हैं ! ये तो ज्ञान का सहज भंडार हैं। मैं तो जैनदर्शन १४. षट्कारक अनुशीलन ३ हजार ४.०० से पहले से भी प्रभावित था। आपकी पुस्तकें पढ़ने के उपरान्त | १५. शलाका पुरुष पूर्वार्द्ध (नवीन संस्करण) ५ हजार २५.०० तो यह आस्था और अधिक बलवती हो गयी है। सभी पुस्तकें १६. शलाका पुरुष उत्तरार्द्ध (नवीन संस्करण) ५ हजार ३०.०० अत्यधिक सरल भाषा में लिखी गयी हैं। जो जनसामान्य को भी सम्पादित एवं अनूदित कृतियाँ (गुजराती से हिन्दी) संस्कारित करती है। जैन साहित्य के लिए आपकी ये पुस्तकें एक अनमोल निधि हैं। मैं कायस्थ कुल में पैदा अवश्य हुआ हूँ; १७ से २७. प्रवचनरत्नाकर भाग -१ से ११ तक (सम्पूर्ण सेट) १६०.०० लेकिन आरम्भ से ही कुछ ऐसा प्रभाव रहा कि कोई व्यसन पास २८. सम्यग्दर्शन प्रवचन १५.०० नहीं आ सका। २९. भक्तामर प्रवचन १२.०० | आपके इस सद्लेखन के लिए, आपको बधाई। 'संस्कार', ३०. समाधिशतक प्रवचन 'विदाई की बेला' बहुत ही प्रेरणादायी हैं। आदरणीय 'हकमचन्दजी | ३१. पदार्थ विज्ञान (प्रवचनसार गाथा ९९ से १०२) भारिल्लजी की आप कुछ भी कहो' ने भी पूरे परिवार को झकझोर | ३२. गागर में सागर (प्रवचन) दिया। उन्हें भी मेरी बधाई प्रेषित कर दें। ३३. अहिंसा : महावीर की दृष्टि में आभार, शुभम् आपका ही... ३.०० आशा है सानन्द होंगे। डॉ. विष्णु सक्सना ३४. गुणस्थान-विवेचन १८.०० २.४.९६ ३५. अहिंसा के पथ पर (कहानी संग्रह) १०.०० प्रति, विद्वत्वरेण्य पण्डित रतनचन्दजी भारिल्ल ३६. विचित्र महोत्सव (कहानी संग्रह) ११.०० प्राचार्य, श्री टोडरमल दि. जैन महाविद्यालय, जयपुर ३०.०० 44444442863 ७.००
SR No.008352
Book TitleHarivanshkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size794 KB
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