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________________ । _F Av_ ' इस प्रकार हैं - जब कुमार वसुदेव प्रभावती के साथ महल में सो रहे थे, तब उनका शत्रु सूर्पक उन्हें सोई हुई हालत में ही अपहरण करके आकाश में ले गया। कुमार की नींद खुलते ही उन दोनों में संघर्ष हुआ। सूर्पक जब हारने लगा तो उसने कुमार को नीचे गिरा दिया। संयोग से वे गोदावरी कुण्ड में गिरे, पर पुण्ययोग से घायल नहीं हुए। वहाँ से निकलकर वे कुण्डलपुर ग्राम पहुँचे वहाँ के राजा पद्मरथ की कन्या की यह प्रतिज्ञा थी कि जो मुझे माला गूंथने की कला में पराजित करेगा मैं उससे ही विवाह करूँगी। कुमार वसुदेव ने उसे माला गूंथने का कौशल दिखाकर उससे विवाह कर लिया। सचमुच श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव बहुत ही पुण्यवान, बलशाली और प्रतापी पुरुष थे। उनके चक्रवर्ती जैसा महान पुण्य और पौरुष था, परोपकारी भी थे, अतः जहाँ भी गये, उनके पुण्य ने उनका पूरा साथ दिया। इसीप्रकार की दूसरी घटना नीलकंठ के अपहरण द्वारा हुई। इस बार कुमार चम्पापुर के तालाब में गिरे । वहाँ से भी सकुशल निकलकर चम्पापुर नगर में गये। उन्होंने वहाँ के मंत्री की पुत्री से विवाह किया। यहाँ वही पूर्व का सूर्पक फिर से हरकर ले गया। इस बार उससे छूटकर भागीरथी नदी में गिरे। पुण्य योग से वहाँ से भी बच कर अटवी में घूमते हुए उनका म्लेच्छराज की 'जरा' नामक कन्या से सम्पर्क हुआ और उससे विवाह हुआ। वे वहीं बहुतकाल तक रहे । इस म्लेच्छ कन्या से उनका जरतकुमार नामक पुत्र हुआ। उसीसमय कुमार ने अवन्ति सुन्दरी और शूरसेना नामक कन्याओं को भी प्राप्त किया। तदनन्तर जीवद्यशा कन्या को प्राप्त करने के साथ और भी अनेक स्त्रियों से विवाह सम्पन्न करके कुमार अरिष्टपुर नामक नगर पहुँचे । उससमय वहाँ का राजा धीर-वीर रुचिर था । उसकी मिला नाम की रानी थी। उन दोनों के नीतिवेत्ता, रणनिपुण, महापराक्रमी एवं शस्त्र-शास्त्र का अभ्यासी हिरण्य नाम का ज्येष्ठ पुत्र था और कलाओं की पारगामिनी, रूप तथा यौवन को धारण करनेवाली रोहणी नामक पुत्री थी। रोहणी || के स्वयंवर में जरासन्ध सहित समुद्रविजय आदि समस्त राजा आये। भाइयों की पहचान में न आ सके - ऐसा वेष धारण कर कुमार वसुदेव भी स्वयंवर में गये। ' "REE EEP
SR No.008352
Book TitleHarivanshkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages297
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size794 KB
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