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________________ दर्शनपाहुड अवरस्थितानां तृतीयं चतुर्थं पुन: लिंगदर्शनं न । स् ित । । १ ८ । । अर्थ – दर्शन में एक तो जिनका स्वरूप है; वहाँ जैसा लिंग जिनदेव ने धारण किया वही लिंग है तथा दूसरा उत्कृष्ट श्रावकों का लिंग है और तीसरा ‘अवरस्थित' अर्थात् जघन्यपद में स्थित ऐसी आर्यिकाओं का लिंग है तथा चौथा लिंग दर्शन में है नहीं। भावार्थ - जिनमत में तीनों लिंग अर्थात् भेष कहते हैं। एक तो वह है जो यथाजातरूप जिनदेव ने धारण किया तथा दूसरा ग्यारहवीं प्रतिमा के धारी उत्कृष्ट श्रावक का है और तीसरा स्त्री आर्यिका का है। इसके सिवा चौथा अन्य प्रकार का भेष जिनमत में नहीं है। जो मानते हैं वे मूलसंघ से बाहर हैं ।।१८।। आगे कहते हैं कि ऐसा बाह्यलिंग हो उसके अन्तरंग श्रद्धान भी ऐसा होता है और वह सम्यग्दृष्टि है - छह दव्व णव पयत्था पंचत्थी सत्त तच्च णिहिट्ठा। सदहइ ताण रूवं सो सद्दिट्ठी मुणेयव्वो।।१९।। षद्रव्याणि नवपदार्था: पंचास्तिकाया:सप्ततत्त्वानि निर्दिष्टानि । श्रद्दधाति तेषां रूपं सः सदृष्टिः ज्ञातव्यः ।।१९।। अर्थ - छह द्रव्य नव पदार्थ पाँच अस्तिकाय सात तत्त्व - यह जिनवचन में कहे हैं. उनके स्वरूप का जो श्रद्धान करे उसे सम्यग्दृष्टि जानना। भावार्थ - (जाति अपेक्षा छह द्रव्यों के नाम) जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल - यह तो छह द्रव्य हैं तथा जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा, मोक्ष और पुण्य, पाप - यह नव तत्त्व अर्थात् नव पदार्थ हैं; छह द्रव्य काल बिना पंचास्तिकाय हैं। पुण्य-पाप बिना नव पदार्थ सप्त तत्त्व हैं। इनका संक्षेप स्वरूप इसप्रकार है - जीव तो चेतनास्वरूप है और चेतना दर्शनज्ञानमयी है; पुद्गल स्पर्श, रस, गंघ, वर्ण, गुणसहित मूर्तिक है, उसके परमाणु और स्कंध दो भेद हैं; स्कंध के भेद शब्द, बन्ध, सूक्ष्म, स्थूल, संस्थान, भेद, तम, छाया, आतप, उद्योत इत्यादि अनेक प्रकार हैं; धर्मद्रव्य, अधर्मद्रव्य, आकाशद्रव्य - ये एक-एक हैं, अमूर्तिक हैं, निष्क्रिय हैं, कालाणु असंख्यात द्रव्य हैं। काल को छोड़कर पाँच द्रव्य बहुप्रदेशी हैं, इसलिए छह द्रव्य नव तत्त्वार्थ जिनवर देव ने जैसे कहे। है वही सम्यग्दृष्टि जो उस रूप में ही श्रद्धहै ।।१९।।
SR No.008340
Book TitleAshtapahud
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size888 KB
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