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________________ मोक्षपाहुड २६९ उनमें भी अनुरक्त है, अनुरागसहित होता है वही मुनि ध्यान में प्रीतिवान् होता है और मुनि होकर भी देव-गुरु-साधर्मियों में भक्ति व अनुराग सहित न हो उसको ध्यान में रुचिवान नहीं कहते हैं, क्योंकि ध्यान करनेवाले के, ध्यानवाले से रुचि प्रीति होती है, ध्यानवाले न रुचें तब ज्ञात होता है कि इसको ध्यान भी नहीं रुचता है इसप्रकार जानना चाहिए ।।५२।। आगे कहते हैं कि जो ध्यान सम्यग्ज्ञानी के होता है वही तप करके कर्म का क्षय करता है - उग्गतवेणण्णाणी जं कम्मं खवदि भवहि बहुएहिं । तं णाणी तिहि गुत्तो खवेइ अंतोमुहुत्तेण ।।५३।। उग्रतपसाऽज्ञानी यत् कर्म क्षपयति भवैर्बहुकैः। तज्ज्ञानी त्रिभिः गुप्त: क्षपयति अन्तर्मुहूर्तेन ।।५३।। अर्थ – अज्ञानी तीव्र तप के द्वारा बहुत भवों में जितने कर्मों का क्षय करता है, उतने कर्मों का ज्ञानी मुनि तीन गुप्ति सहित होकर अन्तर्मुहूर्त में ही क्षय कर देता है। भावार्थ - जो ज्ञान का सामर्थ्य है वह तीव्र तप का भी सामर्थ्य नहीं है, क्योंकि ऐसा है कि अज्ञानी अनेक कष्टों को सहकर तीव्र तप को करता हुआ करोड़ों भवों में जितने कर्मों का क्षय करता है वह आत्मभावना सहित ज्ञानी मुनि उतने कर्मों का अंतर्मुहूर्त में क्षय कर देता है, यह ज्ञान का सामर्थ्य है ।।५३।। ___ आगे कहते हैं कि जो इष्ट वस्तु के संबंध से परद्रव्य में रागद्वेष करता है वह उस भाव से अज्ञानी होता है, ज्ञानी इससे उल्टा है - सुहजोएण सुभावं परदव्वे कुणइ रागदो साहू । सो तेण दु अण्णाणी णाणी एत्तो दु विवरीओ ।।५४।। शुभयोगेन सुभावं परद्रव्ये करोति रागत: साधुः। स: तेन तु अज्ञानी ज्ञानी एतस्मात्तु विपरीतः ।।५४।। अर्थ - शुभ योग अर्थात् अपने इष्ट वस्तु के संबंध से परद्रव्य में सुभाव अर्थात् प्रीतिभाव को करता है वह प्रगट रागद्वेष है, इष्ट में राग हुआ तब अनिष्ट वस्तु में द्वेषभाव होता ही है, इसप्रकार जो राग-द्वेष करता है वह उस कारण से रागी-द्वेषी अज्ञानी है और जो इससे विपरीत अर्थात् उलटा है, परद्रव्य में रागद्वेष नहीं करता है वह ज्ञानी है। परद्रव्य में जो साधु करते राग शुभ के योग से। वे अज्ञ हैं पर विज्ञ राग नहीं करें परद्रव्य में ।।५४।।
SR No.008340
Book TitleAshtapahud
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size888 KB
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