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________________ भावपाहुड २३५ अर्थ – जो जिनभावना से भावित जीव हैं वे ही सिद्धि अर्थात् मोक्ष के सुख को पाते हैं। कैसा है सिद्धि सुख ? 'शिव' है, कल्याणरूप है, किसीप्रकार उपद्रव सहित नहीं है, 'अजरामरलिंग' है अर्थात् जिसका चिह्न वृद्ध होना और मरना इन दोनों से रहित है, 'अनुपम' है जिसको संसार के सुख की उपमा नहीं लगती है, ‘उत्तम' (सर्वोत्तम) है, ‘परम' (सर्वोत्कृष्ट) है, महार्घ्य है अर्थात् महान् अर्घ्य पूज्य प्रशंसा के योग्य है, 'विमल' है कर्म के मल तथा रागादिकमल से रहित है। ‘अतुल' है, इसके बराबर संसार का सुख नहीं है, ऐसे सुख को जिनभक्त पाता है, अन्य का भक्त नहीं पाता है।।१६२।। ___ आगे आचार्य प्रार्थना करते हैं कि जो ऐसे सिद्धसुख को प्राप्त हुए सिद्ध भगवान् वे मुझे भावों की शुद्धता देवें - ते मे तिहुवणमहिया सिद्धा सुद्धा णिरंजणा णिच्चा। दिंतु वरभावसुद्धिं दंसण णाणे चरित्ते य ।।१६३।। ते मे त्रिभुवनसहिता: सिद्धा: सुद्धा: निरंजना: नित्याः। ददतु वरभावशुद्धिं दर्शने ज्ञाने चारित्रे च ।।१६३।। अर्थ – सिद्ध भगवान मुझे दर्शन-ज्ञान में और चारित्र में श्रेष्ठ उत्तमभाव की शुद्धता देवें । कैसे हैं सिद्ध भगवान ? तीन भुवन से पूज्य हैं, शुद्ध हैं अर्थात् द्रव्यकर्म और नोकर्मरूप मल से रहित हैं, निरंजन है अर्थात् रागादि कर्म से रहित हैं, जिनके कर्म की उत्पत्ति नहीं है, नित्य हैं - प्राप्त स्वभाव का फिर नाश नहीं है। भावार्थ - आचार्य ने शुद्धभाव का फल सिद्ध अवस्था और जो निश्चय से इस फल को प्राप्त हुए सिद्ध, इनसे यही प्रार्थना की है कि शुद्धभाव की पूर्णता हमारे होवे ।।१६३।। आगे भाव के कथन का संकोच करते हैं - किंजंपिएण बहुणा अत्थो धम्मो य काममोक्खो च । अण्णे वि य वावारा भावम्मि परिट्ठिया सव्वे ।।१६४।। किं जल्पितेन बहुना अर्थ: धर्म: च काममोक्ष: च।। अन्ये अपि च व्यापारा: भावे परिस्थिता: सर्वे ।।१६४।। अर्थ - आचार्य कहते हैं कि बहुत कहने से क्या ? धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और अन्य जो कुछ व्यापार है वह सब ही शुद्धभाव में समस्तरूप से स्थित है। भावार्थ - पुरुष के चार प्रयोजन प्रधान हैं - धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष । अन्य भी जो कुछ
SR No.008340
Book TitleAshtapahud
Original Sutra AuthorKundkundacharya
Author
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages394
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size888 KB
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