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________________ चंडालिय (चाण्डालिक) चंडाळनो पवहण (प्रवहण) वाहन, वहाण स्वभाव-क्रोध अच्छेर (आश्चर्य) आश्चर्य-अचरज नाण (ज्ञान) ज्ञान विशेषण महड्डिय। (महर्धिक) मोटी । जुगुच्छ (जुगुप्स) जुगुप्सा करमहिड्डिय) ऋद्धिवाळु-धनाढय नार-घृणा करनार वाघायकर (व्याघातकर) व्याघात | सह ) (सूक्ष्म) सूक्ष्म-सूक्षम-नानुं करनार-विघ्न करनार सुहम सुखुम) महग्य (महाघ) मोंधु सहल (सफल) सफळ सग्घ (स्वर्घ) सोंधू विहल (विफल) विफळ केरिस (कीदृश) केवु विलिअ (व्यलीक) विशेष अलोक नवीण । (नवीन) नवीन -खोटे णवीण नर्बु वीलिअ (बीडित) वीलो-भोंठो अजयण। (अद्यतन) आजनुं पुराण । (पुराण) पुराणु-जूनुं अजतण) - -ताजु पुराअण (पुरातन) सरस (सरस) सरस निण्णो (निम्न) निम्न-नीचुं पच्छ (पथ्य) पथ्य-रस्तामां हितकर | नेण्ण नानु-नेनु८२ अव्यय तेण (तेन) ते तरफ सुडु (सुष्टु) सारी रीते जेण (येन) जे तरफ दुडु (दुष्ठ) दुष्ट रीते अवस्सं (अवश्यम् ) अवश्य खिप्पं (क्षिप्रम् ) खेप-जल्दी८३ एव) (एवम् ) एम-ए प्रमाणे पच्छा (पश्चात् ) पछी | इहेव (इहैव) अहीं ज ८१ जुओ टिप्पण २१ मुं. ८२ 'नेनु' ए प्रांतिक उच्चारण छे. नेनु नानु ८३ सरखावो-'खिप्प' उपरथी खेपियो-खेप करनारो-त्वराधी कागळ पहोंचाडनारो.
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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