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________________ अंगण (अङ्गन) आंगj कम्मबीअ (कर्मबीज) कर्मवीजसीअ (शीत) शीत-टाढ सत्-असत् संस्कारनु बीज खेम. (क्षम) क्षेम-कुशळ भोयण (भोजन) भोजन-जमण महब्भय (महाभय) महाभय- धण (धन) धन मोटो भय ताण (त्राग) रक्षण-शरण-आशरो वत्थ (वस्त्र) वस्त्र-वस्तर-कपड़े घर (गृह) घर कट्ठ (काष्ठ) काट-काट-काठ काठी-लाकडु आउय (आयुष्क) आयुष्य-जींदगी विशेषण पडप्पन्न (प्रत्युत्पन्न) वर्तमान-ताजु । आग) पमत्त (प्रमत्त) प्रमत्त-प्रमादी । आगत । (आगत) आवेखें आअ) सम (सम) समानवृत्तिवाळु-सरखं पिआउय (प्रियायुष्क) आयुष्यने वीयराग। (वीतराग) जेमां राग वीयराय नथी ते प्रिय समजनार उत्तम। सुजह (सु+हान) सहेलाइथी। उत्तिम म (उत्तम) उत्तम तजी शकाय ते बुद्ध (बुद्ध) बोध पामेल-ज्ञानी जुन्न (जीर्ण) जीर्ण-जून-जळी बद्ध (वद्ध) बद्ध-बांधेल-बंधायेल जरी-गयेलं सीअ (शीत) शीत-ठंडं पिय (प्रिय) प्रिय-वहालं आसत्त (आसक्त) आसक्त-मोही अधीर (अधीर) अधीर-धीरज हअ (हत) हणायेखें-हणेलं विनानु-नवळु हंतव्य (हन्तव्य) हणवा योग्य अप्प (अल्प) अल्प-थोड़े अणाइअ (अनादिक) आदि विनानु अव्यय कत्तो। (कुतः) क्याथी, शाथी, जहा) यथा) जेम कुओ कइ बाजुथी. जहा था जम
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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