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________________ २५ [ज्जा होज्जामि | होजामो, होजामु, होजाम, होजाम्ह होज्जा होजा२६ आ रीते बीजा अने श्रीजा पुरुषमा 'हो' नां रूपो स्वयं साधी लेवां. पुरुषबोधक प्रत्ययो लगाडतां पहेलां प्रत्येक स्वरांत धातुनां छ अंगो बने छे. जेमकेः होअ, होएज, होएजा, हो, होज, होजा, [हो' नां] गाअ, गाएज, गाएजा, गा, गाज, गाजा, ['गा' ना] ए छ अंगो द्वारा उक्त सर्व रूपो योजी लेवां. १ 'से' अने 'ए' प्रत्यय न ले तेवा केटलाक धातुओ जणावो. २ 'ज' अने 'जा' ना उपयोग विशे शं समझायं? ३ स्वरांत धातुनी साथे 'ज' अने जा' नो उपयोग केवी रीते थाय छे ए उदाहरण साथे समझावो. ४ आवा ( ) कौंसमां अने बहार भूकेला शब्दोमां केटला टका समानता लागे छ ? ५ बहार भूकेला अने अर्थमां जणावेला शब्दोमां केटला टका समानता लागे छे ? ६ 'इ' नो 'ए' अने 'उ' नो 'ओ' क्यारे थाय छ ? उदा. हरण सहिंत जणावो. २६ त्रणे पुरुषनां मळीने तो घणां रूपो थाय छे. तेथी अहीं प्रथम पुरुषनां रूपो उदाहरण तरीके दर्शाव्यां छे. साहित्यमां अने व्यवहारमा आ वां रूपोनो उपयोग विरल छे. आ तो मात्र जाणवा माटे ज जणाव्यां छे.
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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