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________________ धातुओ मज्ज १४(मद्य) मद करवो- । जोत् । (द्योत) जोत थवीमाचवु-खुश थर्बु जो प्रकाशयु, जोq. खिज्ज (खिय) खीलवू-खेद सिज (स्विद्य) सीजQ-चीकj करवो थबु-स्वेद-परसेवा-वाळा संपज्ज(स+पद्य) संपजवू-सांपडवू थ, निप्पज (नि+पद्य) नीपजq पुज्ज् (पूर्व) पूरवु, पूगवु विज्ञ् (विद्य) विद्यमान होवू दिव्व् (दीव्य) द्युत रमवु-रमवू वाक्यो [तेओ] थाय छे खेद करे छे []] दे छे नीपजे छे [] थाय छे संपजे छे गाइए छीए प्रकाशित थइए छीए दोडो छो [तेओ] जपे छे [ते बे] खाय छे [अमे बे] ध्याइए छीए ऊभो रहुं छं पीओ छो बोलीए छीए [तेओ बे] रमे छे सीजे के जाय छे छीए खुश थाउं छु सहन करुं छु १४ शब्दनी अंदरना 'य' 'य' अने 'प्य' ने बदले 'ज्ज' थाय छ भने शब्दनी भादिना 'घ' '' अने 'ग्य' ने बदले 'ज' थाय छे. 'जेमके:ध-भद्य-अज. मद्यम्-मज्जं. युतिः-जुती. र्य-पूर्य-पुज्ज. कार्यम्-कलं. मर्यादा-मज्जाया. व्य-शग्या-सेज्जा छो
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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