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________________ विrg (विनष्ट) विनष्ट, विनाश विग्भल (विह्वल ) विह्वल, विहल | भांभळु - गभरायेल विलिअ ( व्यलीक ) विशेष अलीक - खोटुं विविह (विविध) विविध जातजातनुं विहल (विफल ) विफळ वीयराग ( वीतराग ) जेम वीयराय । राग नथी ते वीलिअ ( ब्रीडित) वीलं - भोंटुं योक्तव्व (वक्तव्य ) कहेवा जेवुं सक्कय (संस्कृत) संस्कृत सग्घ (स्वर्ध) सोंधुं सवेलय (सचेलक) सचेल - वस्त्रवाळुकपडावाळु सत्त (शत) शक्तिमान सन्त (सक्त) आसक्त सत्तम (सप्तम) सातमुं सत्तगुण ( सप्तगुण - सप्तगुणक) सत्तगुणय सातगणु संपडिय सांपडेलं सम (सम) समानवृत्तिवाळु - सरखं सयल (सकल) सकळ - सघळु सरस ( सरस) सरस सवाय ( सपाद) सवायुं - सवा सहल ( सफल ) सफळ १५ २२५ संखय (संस्कृत) संस्कारेलु, संस्कार संजय (संगत ) संयमवाळो संभूअ (संभूत) संभवेलो - थयेलो संस (संसृष्ट) संसर्गवाळु, संसर्ग साउ (स्वादु) स्वादु - स्वादवालुं सीअ (शीत) शीत-ठंड सीलभूअ ( शीलभूत) शीलभूत, सदाचाररूप सुह ( शुचि) शुचि - पवित्र सुगंधि ( सुगन्धिन् ) सुगंधी वस्तु सुजह (सु+हाम) सहेलाईभी तजी शकाय ते सुत (सुप्त ) सूतेलं सुत ( सुक्त ) सूक्त - सारी उक्तिसुभाषित सुय (श्रुत) सांभळेलं, सांभळवु सुहि (सुखिन् ) सुखी सुहुम ( (सूक्ष्म) सूक्ष्म - नानुं म सेठ्ठ (श्रेष्ठ) श्रेष्ठ - उत्तम हअ (हत) हणायेलं - हणेलं हय ( हृत) हरेलं, हखुं इंतव्व ( हन्तव्य ) हणवा योग्य हुत (हुत) होमेलुं - हवन करायेलुं हेट्ठिल | (अधस्तन) हेठलं हेलिभ
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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