SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 240
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२३ 'नमिर (नम्र) नम्र-नरम परूविथ (प्ररूपित ) प्ररूपेलं, नवम (नवम) नवमु जणावेलं, प्ररूपवू नवीण । ( नवीन ) नवीन- पंचम (पञ्चम) पांचमुं णवीण नवु पंडित। (पण्डित) पंडित-भणेलो नाय (ज्ञात) जाणीतुं-प्रसिद्ध पंडिअ पंडयो, पोपटपंडित निश्चल (निश्चल) निश्चल पंत (प्रान्त) अन्तर्नु, छेवटनु. वापनिठुर (निष्ठुर) नठोर रतां वधेलु निण्ण । (निम्न ) निम्न-नीचुं, पासग (पश्यक ?) द्रष्टा-जोनार - नेण्ण नानु, नेनुं निरठ्ठय (निरर्थक) निरर्थक-नकामुं तत्त्व समझनार निहिय (निहित) निहित-स्थापेलं, पिआउय (प्रियायुष्क) आयुष्यने स्थापq प्रिय समजनार पञ्च (पाच्य) पचवा-रांधवा-योग्य पियामह (पितामह) बापनो बाप पच्छ ( पथ्य ) पथ्य-रस्तामां पिय (प्रिय) प्रिय-वहाछ हितकर पिहिय (पिहित) ढांकेलं, ढांक पदुप्पन्न ( प्रत्युत्पन्न ) वर्तमान- पीण (पीन) पुष्ट ताजु पुट्ट (पुष्ट) पुष्ट पढम (प्रथम) प्रथम-परथम पुट्ट (पृष्ट) पूछायेलं पणट्ठ (प्रणष्ट) प्रनष्ट, नाश पुण्ण (पूर्ण) पूर्ण-भरेलो-संपत्ति पत्त (प्राप्त) पहोत्यु-पहोंच्यु __ वाळो पद्धर (प्राध्वर) पाधलं-सीधुं पुण्ण (पुण्य) पुण्य-पवित्र काम पन्नत्त (प्रज्ञप्त) प्रज्ञापेलु-जणावेलु पुराण । पुराण पुराणु, पन्नविय ( प्रज्ञपित ) प्रज्ञापेलं, पुराअण पुरातन 5 जून प्रज्ञापवु | पोअ (प्रोत) परोव्यु-परोवेलं पमत्त ( प्रमत्त ) प्रमत्त-प्रमादी । पोच पोचुं परिसोसि । (परिशोषित) सू- | बज्म ( बाह्य ) बहार, बहारनो परिसोसिय । कायेलं-करमायेलं
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy