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________________ २२० अन्नयर । (अन्यतर) अनेरु, अण्णयर S बीजुं अप्प (अल्प) अल्प-थोडं अप्पणिय (आत्मीय) आपणुं अभोगिो (अभोगिन् ) अभोगीअभोर भोगोने नहीं भोगवनार संयमवाळू अम्हारिस (अस्मादृश) अमारीशु अमारा जेवू अमु (अदम् ) ए अवज (अवद्य) अवद्य-न वदीकही-शकाय ते, काम पाप-दोष । (अपर) अपर-ओर अवर (अवर) अवर-बीजूं अहम (अधम) अधम-हलकुं-नीच अहिनव (अभिनव) अवनवु नवीन अंतर (आन्तर) अंतरनु-अंदरनुं आंतरिक अंतिम (अन्तिक) पासे-नजीकमां आकुट्ठ (आक्रुष्ट) आक्रोश करेलु आरिस (आर्ष) ऋषिए कहेलु आरोग्गिय आरोगेलं-खाधेलं आसत्त (आसक्त) मोही इम (इदम् ) आ इयर (इतर) इतर-बीजें उच्चंचलय (उच्चञ्चलक) उंछाछर्बु उच्छंखलय (उच्छृङ्खलक) सांकळ वगरनु-बंधनरहित-उच्छृखल उच्छिह (उच्छिष्ट) एलु-अजीडं उज्जड ऊजड उज्जु (ऋजु) सरल उंड ऊंडं उत्तम । (उत्तम) उत्तम उत्थिअ (उत्थित) ऊठेलु-ऊठ्यु उपरिअल्ल ( उपरितन ) उपलुं __ उपरनुं एअ। एय । (एतद् ) ए __ आक्रोश आगअ) आगत (आगत) आवेलु आम आणत्त (आज्ञप्त ) आज्ञा करेलं, | आज्ञा । एग) एक (एक) एक इक्क) ओक्किय ओकेलं कज (कार्य) करवा योग्य क (किम् ) कोण कइम (कतम) कोण-क्यो, केटलाक कयर ( कतर ) कोण-बेमांथी कोण-क्यो
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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