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________________ R अनियमित कर्तृदर्शक कृदंतो पायग ( ( पाचक) पाक करनार-गंधनार पायअ नायग (नायक) नायकनायअ नेता - दोरनार } (नेट) नायक - नेतादोरनार } नेतु विज (विद्वस् १२३) विद्वान् कन्तु (क) कर्ता-करनार विकन्तु (विकर्तृ) विकार करनार - बोलनार वत्तु ( वक्त) वक्ता - हन्तु ( हन्तु ) हणनार छेन्तु (छेत्तृ) छेदनार मेनु (मेन) मेदनार केलांक अव्ययो अग्गे (अग्रे) आघे - आगळ अकट्टु (अकृत्वा) नहि करीने अईव अतीव ) (अतीव) अतीव - विशेष अग्गओ ( अग्रतः) आगळथी अओ अतो । अणमण्णं (अन्योन्यम् ) अन्यो• अन्य - एकबीजाने अत्थं (अस्तम्) आथमवुं अत्थु (अस्तु) थाओ श्रद्धा (अद्धा ) समय कुंभआर (कुम्भकार) कुंभ करनार-कुंभार कम्मगर (कर्मकर) कर्म-कामकरनार - कामगरो भारहर ( भारहर) भार लई जनार थणंधय (स्तनंधय) धावनारे बाळक परंतव (परंतप ) शत्रुने तपा वनार - प्रतापी लेहअ (लेखक) लखनार ( अतः ) आथी - एथी अण (नम् - अन ) निषेध - विपरीत अण्णा (अन्यथा) तेम नहि तो अनंतरं (अनन्तरम् ) अन्तर विना, तुरत अदुवा ( अदुव (अथवा ) अथवा अहुणा ( अधुना ) हमणां अप्पेव (अप्येव) संशय अभितो (अभितः ) चारे बाजु अम्मो-आश्चर्य अलं (अलम् ) सर्यु- निषेध पूतुं अवस्सं ( अवश्यम् ) अवश्य १२३ 'द्व' नो प्रायः 'ज्ज' थाय छे: - विद्वान् विजं
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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