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________________ सुस्सूसंतो (शुश्रूषन् ) सुस्सुसमाणो (शुश्रूषमाणः) सुस्सूसिजंतो, सुस्सूसिजमाणो सुस्सूसीअतो सुस्सूसीअमाणो. (शुश्रूष्यमाणः) चंकमतो (चकमन् ) चंकममाणो (चक्रममाणः ) चंकमिजतो चंकमिजमाणो] चंकमीअंतो चंकमीअमाणो. (चक्रम्यमाणः) आ बधां रूपो जाणी लेवां भूतकृदंत मूळ धातुने 'त' के 'अ' प्रत्यय लगाडवाथी तेनुं भूतकृदंत बने छे. ए बन्ने प्रत्ययो लागतां पूर्वना 'अ' नो 'इ' थाय छेः गम्+अ+त--गमितो. गम्+अ+अ-गमिओ (गतः) गयेलो भावे-गमितं, गमिअं (गतम् ) जवु-गति कर्मणि-गमितो गामो, गमिओ गामो (गतो ग्रामः) जवायेलु गाम प्रेरक-करावितो (कारापितः) कारिओ (कारितः) करावायेलो-करावेलो अनियमित भूतकृदंत गय (गत ) गयेलं, जर्बु मिलाण (म्लान ) म्लान थयेलं मय (मत), मानेलं, मानवु, मत मिलान करमायेलं, म्लान थQ. कड (कृत) करेलु, कर, अक्खाय ( आख्यात) कहेलं, कहे, हड (हृत) हरेलु, ह निहिय ( निहित ) निहित-स्थामड (मृत) मरेलं, मर, पेलं, स्थापq जिअ (जित ) जितेलं, जितवं आणत्त (आज्ञप्त) आज्ञा करेल, आज्ञा तत्त (तप्त ) तपेलं, तपq संखय (संस्कृत) संस्कारेलं, संस्कार कय (कृत ) करेलु, कर, | आकुछ (आक्रुष्ट) आक्रोश करेल, दट्ट (दृष्ट ) दीटुं-देखेखें, देखg आक्रोशः
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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