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________________ १२३ तिने लीधे तेओ आकारांत बनेलां होय छे त्यारे बीजां केटलांक आकारांत नामोर्नु मूळ रूप तेवु-अकारांत-नथी होतुं पण तेओ बीजी रीते आकारांत थयेलां होय छे. आ नीचे ए बन्ने जातनां आकारांत नामोनां रूपो मापेलां छे. जेओ मूळथी अकारांत नथी तेमनुं संबोधनएकवचन प्रथमा विभक्ति जेवू ज थाय छे त्यारे जेओ मूळथी अकारांत छे तेमनुं संबोधननुं एकवचन करतां तेमना अंत्य 'आ' नो विकल्प 'ए' करवामां आवे छे-ए बेय नामोनां रूपोमां बीजो कशो मेद नथी. जेमकेः-ननान्ड-नणंदा-हे नणंदा! अप्सरस्-अच्छरसा-हे अच्छरसा! सरित्-सरिया-हे सरिया ! सरिआ-हे सरिआ ! वाच-वाया-हे वाया ! माल-माला-हे माले! हे माला! रम-रमा-हे रमे! हे रमा ! मूळ अकारांत । कान्त-कान्ता-हे कांते ! हे कांता! देवत-देवता-हे देवते! हे देवता! J मेध-मेघा-हे मेहे ! हे मेहा ! रूपाख्यान माला [मूळ अकारांत ] एकवचन बहुवचन १ माला-माला (माला) माला+उ-मालाउ माला+ओमालाओ माला-माला (माला) २ माला+म्-मालं ( मालाम् ) माला+उ-मालाउ माला+ओ-मालाओ माला-माला (मालाः)
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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