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________________ ८८८ विसेसचुण्णि [उग्गालपगयं तव्विवरीया अजयणइंता । वत्थव्व जयणपत्ता, एगगमा दो वि होंति णेयव्वा । अजयण वत्थव्वा वि य, संखडीपेही उ एक्कगमा ॥५८३५॥ तत्थेव गंतुकामा, वोलेउमणा व तं उवरिएणं । पदभेद अजयणाए, पडिच्छ उव्वत्त सुतभंगे ॥५८३६॥ संखडिमभिधारेंता, दुगाउया पत्तभूमिगा होति । जोयणमाई अप्पत्तभूमिया बारस उ जाव ॥५८३७॥ खेत्तंतों खेत्तबहिया, अप्पत्ता बाहि जोयण दुगे य । चत्तारि अट्ठ बारसऽजग्ग सुव विगिचणाऽऽदियणा ॥५८३८॥ वत्थव्व जयणपत्ता, सुद्धा पणगं च भिण्णमासो य । तवकालेहिँ विसिट्ठा, अजतणमादी वि उ विसिट्ठा ॥५८३९॥ तिसु लहुओ गुरु एगो, तीसु य गुरुओ उ चउलहू अंते । तिसु चउलहुगा चउगुरु, तिसु चउगुरु छल्लहू अंते ॥५८४०॥ तिसु छलहुगा छग्गुरु, तिसु छग्गुरुगा य अंतिमे छेदो । छेदादी पारंची, बारसगादीसु त चउक्कं ॥५८४१॥ खेत्तंतों खेत्तबहिया, अप्पत्ता बाहि जोयण दुगे य । चत्तारि अट्ठ बारसऽजग्ग सुव विगिंचणाऽऽदियणा ॥५८४२॥ पणगं च भिण्णमासो, मासो लहुओ उ पढमतो सुद्धो । मासो तवकालगुरू, दोहि वि लहुओ अ गुरुओ य ॥५८४३॥ लहुओ गुरुओ मासो, चउरो लहुगा य होंति गुरुगा य । छम्मासा लहुगुरुगा, छेदो मूलं तह दुगं च ॥५८४४॥ "वत्थव्व जयणपत्ता०" ["तत्थेव गंतु०" "संखडिमभिधारेंता०" "खेत्तंतो खेत्त०'' "वत्थव्व जयण०" "तिसु लहुओ गुरु०" "तिसु छल्हुगा०'' "खेत्तंतो खेत्त०" "पणगं च०" "लहुओ गुरुओ०"] गाहाद्वयम् । जे अजयणपत्तभूमिया वत्थव्वया अजयणइत्ता य ते जइ पादोसियं न करेंति मासलहुँ।
SR No.007788
Book TitleKappasuttam Vhas Vises Chunni Sahiyam Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami, Sanghdasgani Kshamashraman
Author
PublisherShubhabhilasha Trust
Publication Year2016
Total Pages314
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bruhatkalpa
File Size6 MB
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