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________________ संपादकीय प्रस्तावना संस्कृत वाङ्मय में नीतिशास्त्र पर विपुल मात्रा में साहित्य का निर्माण हुआ है। चाणक्यनीति, कामन्दकीय नीतिसार आदि उसी प्रकार के ग्रंथ है। जैन परम्परा में भी नीतिशास्त्र पर रचना मिलती है। इस में सर्वप्रथम आचार्य सोमदेवसूरि का कार्य महत्त्वपूर्ण है। जिस प्रकार चाणक्य ने चन्द्रगुप्त के लिए अर्थशास्त्र की रचना की उसी प्रकार आचार्य सोमदेवसूरिजी ने राजा महेन्द्र के लिए नीतिवाक्यामृत ग्रंथ की रचना की। अल्पाक्षरी और मनोरम होने के कारण कौटिल्य अर्थशास्त्र से भी ज्यादा सरस लगता है। इस ग्रंथ पर हरिबल इस विद्वान ने टीका लिखी है। प्राकृत साहित्य में बृहदर्हन्नीतिशास्त्र इस ग्रंथ के आधार पर आचार्य हेमचंद्रसूरिजी ने लघु-अर्हन्नीति यह संस्कृत पद्यात्मक छोटा ग्रंथ लिखा। महाराज कुमारपाल के लिए यह ग्रंथ निर्माण हुआ। धर्म के अनुसार राजनीति का उपदेश इस ग्रंथ में किया गया है। बुद्धिसागर यह उसी में से एक प्रयत्न है। संग्रामसिंह सोनी के द्वारा लिखित बुद्धिसागर ग्रंथ विविध विषयों से समृद्ध है। नीति के साथ ही अन्य विषयों पर इस ग्रंथ में विचार किया गया है। जिनरत्नकोश इस नाम से जैन हस्तलिखित की बृहत् सूचि तैयार की गई है। इसमें बुद्धिसागर नाम से तीन कृतियों का उल्लेख है। १) आ.श्रीबुद्धिसागरसू. कृत बुद्धिसागर व्याकरण २) संग्रामसिंह सोनी कृत बुद्धिसागर। ३) अज्ञात कर्तृक बुद्धिसागर पार्श्वभूमि प्रस्तुत ग्रंथ सामान्यरूप से दुर्लक्षित रहा है ऐसा प्रतीत होता है। ई.स.१९३६ में एक हस्तप्रत के आधार पर इस ग्रंथ का संपादन पूज्य आचार्य श्रीआनंदसागरसूरीश्वरजी म.ने किया जिसका प्रकाशन ऋषभदेव केसरीमलजी श्वेतांबर संस्था, रतलाम द्वारा वि.सं.१९९३ (ई.१९३६)में हुआ है। पूज्य आचार्य भगवंत ने किस हस्तप्रत के आधार से संपादन किया है? यह लिखा नहीं अतः इस ग्रंथ का संशोधित पाठ तैयार करने हेतु विविध हस्तलिखित ग्रंथभंडार में उपलब्ध सभी हस्तप्रतों का अभ्यास करके इस ग्रंथ का एक सर्वमान्य, संशोधित और चिकित्सक पाठ निश्चित करना इस संपादन का हेतु है। यह ग्रंथ धर्म और व्यवहार दोनों स्तर पर महत्त्व का है। सर्वजन-उपयोगी और सर्वजन-ग्राह्य नीतिपरक उपदेश प्रस्तुत ग्रंथ का विषय है अतः इसका भाषांतर भी किया है। १. सं.-हरि दा. वेलणकर, प्र.भांडारकर प्राच्यविद्या संशोधन संस्था
SR No.007785
Book TitleBuddhisagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSangramsinh Soni
PublisherShrutbhuvan Sansodhan Kendra
Publication Year2016
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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