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________________ श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित मुहपत्ति पडिलेहणके २५ बोल १ - सूत्र, अर्थ, तत्त्व करी सद्दहुं, २ - सम्यक्त्व मोहनीय, ३- मिश्र मोहनीय, ४- मिथ्यात्व मोहनीय परिहरं, ५- काम राग, ६- स्नेह राग, ७- दृष्टि राग परिहरूं, २७ ८- सुदेव, ९- सुगुरु, १० - सुधर्म आदरं, ११ - कुदेव, १२ - कुगुरु, १३ - कुधर्म परिहरं, १४- ज्ञान, १५- दर्शन, १६ - चारित्र आदरं, १७- ज्ञान विराधना, १८- दर्शन विराधना, १९- चारित्र विराधना परिहरं, २०- मनगुप्ति, २१ - वचनगुप्ति, २२- कायगुप्ति आदरं, २३- मनदंड, २४- वचनदंड, २५- कायदंड परिहरुं शरीर के अंगोके पडिलेहणके २५ बोल (बायां हाथ पडिलेहतां ) १- हास्य, २- रति, ३- अरति परिहरं. (दांया हाथ पडिलेहतां ) ४- भय, ५- शोक, ६- दुर्गंछा परिहरं.
SR No.007740
Book TitleSamvatsari Pratikraman Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIla Mehta
PublisherIla Mehta
Publication Year2015
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size28 MB
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