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________________ १३६ श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित सचित्त, खान-पान की वस्तु नियम से अधिक स्वीकार की। सचित से मिली हुई वस्तु खाई । तुच्छ औषधि का भक्षण किया। अपक्व आहार, दुपक्व आहार किया। कोमल इमली, भुट्टे, फलियां आदि वस्तु खाई।। सचित दव्व विगई, वाणह-तंबोल-वत्थ-कुसुमेसु, वाहण - सयण - विलेवण,बंभ -दिसि -न्हाण - भत्तेसु. ये चौदह नियम दिनगत् रात्रिगत् लिये नहीं, ले कर भुलाये । बड़ १, पीपल २, पिलंखण ३, कलुबर ४, गूलर ५, ये पाँच फल मदिरा ६, मांस ७, शहद ८, मक्खन ९, ये चार महाविगई,बरफ १०, ओले ११, कच्ची मिट्टी, (विष) १२, रात्रिभोजन १३, बहु-बीजा-फल, १४ अचार, १५ घोलवडे, १६ द्विदल १७, बेंगण १८, तुच्छ-फल १९, अजाना-फल २०, चलित-रस २१, अनंतकाय २२, ये बाईस अभक्ष्य । सूरनज़िमीकंद, कच्ची-हलदी, सतावारी, कच्चा नरकचूर, अदरक, कुवारपाठा, थोर, गिलोय, लसुन, गाजर, गठा-प्याज, गोंगलू, कोमल-फल-फूल-पत्र, थेगी, हरा मोत्था, अमृत वेल, मूली, पदबहेडा, आलू, कचालू, रतालू, पिंडालू, आदि अनंतकाय का भक्षण किया । दिवस अस्त होने पर भोजन किया । सूर्योदय से पहले भोजन किया। लगभग समय पर भोजन किया। तथा कर्मतः पंद्रह-कर्मादानः- इंगाल-कम्मे, वण-कम्मे, साडि-कम्मे, भाडी-कम्मे, फोडी-कम्मे,ये पाँच कर्म | दंत-वाणिज्ज, ये पाँच वाणिज्ज | जंत पिल्लण-कम्म, निल्लंछन-कम्म, दवग्गिदावणिया, सर-दह-तलाय-सोसणया, असइ पोसणया ये पाँच सामान्य, ऐसे पंद्रह कर्म- सावध महारंभ, रंगकाम, कोयलेका काम, इंट पकानेका काम, घाणी-चणा
SR No.007740
Book TitleSamvatsari Pratikraman Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIla Mehta
PublisherIla Mehta
Publication Year2015
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size28 MB
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