SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित इच्छाकारेण संदिसह भगवन् ! तीसरे आवश्यककी मुहपत्ति पडिलेहुं ? इच्छं हे भगवन् , आपकी आज्ञासे तीसरे आवश्यककी मुहपत्ति पडिलेहुं ? आज्ञा मान्य है। ( विधिमें प्रवेश करनेसे पहले मुहपत्तिका पडिलेहण जरुरी है।) ( नीचे बैठके तीसरे आवश्यककी मुहपत्तिका पडिलेहण करना और बादमें दो वांदणा देना) मुहपत्ति पडिलेहणके २५ बोल १ - सूत्र, अर्थ, तत्त्व करी सद्दहुं, २- सम्यक्त्व मोहनीय, ३- मिश्र मोहनीय, ४- मिथ्यात्व मोहनीय परिहरु, ५- काम राग, ६- स्नेह राग, ७- दृष्टि राग परिहरे, ८- सुदेव, ९- सुगुरु, १०- सुधर्म आदएं, ११- कुदेव, १२- कुगुरु, १३- कुधर्म परिहरे, १४- ज्ञान, १५- दर्शन, १६- चारित्र आदएं, १७- ज्ञान विराधना, १८- दर्शन विराधना, १९- चारित्र विराधना परिहरु, २०- मनगुप्ति, २१- वचनगुप्ति, २२- कायगुप्ति आदएं,
SR No.007740
Book TitleSamvatsari Pratikraman Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIla Mehta
PublisherIla Mehta
Publication Year2015
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy