SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 110
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित इस सूत्रसे तीन लोकमें बिराजमान सर्व जिनप्रतिमाओको वंदन करते है । श्री तीर्थंकर परमात्माकी उनके गुणो द्वारा स्तवना नमुत्थुणं अरिहंताणं भगवंताणं आइगराणं, तित्थयराणं, सयंसंबुद्धाणं (२) पुरिसुत्तमाणं, पुरिस - सीहाणं, पुरिस - वर- पुंडरी आणं, पुरिस - वरगंधहत्थीणं (३) लोगुत्तमाणं, लोग - नाहाणं, लोग-हिआणं, लोग-पईवाणं, लोग-पज्जो अगराणं (४) अभयदयाणं, चक्खुदयाणं, मग्गदयाणं, सरणदयाणं, बोहिदयाणं (५) धम्मदयाणं, धम्मदेसयाणं, धम्मनायगाणं, धम्मसारहीणं, धम्म वर चाउरंत चक्कवट्टीणं अप्पsिहय वर नाण दंसण धराणं, वियट्ट - छउमाणं (७) जिणाणं जावयाणं, तिन्नाणं तारयाणं, बुद्धाणं बोहयाणं, मुत्ताणं मोअगाणं (c) सव्वन्नूणं, सव्व दरिसीणं, सिव, मयल, मरुअ, मणंत, मक्खय, मव्वाबाह, मपुणरावित्ति, (b) (६) ५५
SR No.007740
Book TitleSamvatsari Pratikraman Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIla Mehta
PublisherIla Mehta
Publication Year2015
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy