SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तीर्थंकरों का पृथक्-पृथक् नामोल्लेखपूर्वक सबहुमान वर्णन प्राप्त होता है - यह जैन धर्म की प्राचीनता एवं महत्ता का प्रमाण है। शिलालेखादि पुरातात्विक सामग्री में भी चौबीस तीर्थंकर और उनकी ध्यानमुद्रा के विपुल प्रमाण मिलते आचार्य समन्तभद्र कृत वृहत्स्वयम्भूस्तोत्र भी चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति का ही एक प्राचीन ग्रन्थ है, उसमें भक्ति-स्तुति के साथ दर्शनशास्त्र के गूढ-गम्भीर सिद्धान्त भी भरे हैं। सभी को इस ग्रन्थ का स्वाध्याय अवश्य करना चाहिए। __ धर्मानुरागी श्री विजय कुमार जी जैन, देहरादून, ने इस ग्रन्थ का अंग्रेजी में अनुवाद एवं व्याख्यान करके बड़ा सुन्दर कार्य किया है। आज के युग में इसकी बड़ी आवश्यकता थी। उनको मेरा बहुत-बहुत मंगल आशीर्वाद है। २१-१३ालीद आचार्य विद्यानन्द मुनि अक्टूबर 2014 कुन्दकुन्द भारती, नई दिल्ली (viii)
SR No.007721
Book TitleSwayambhustotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay K Jain
PublisherVikalp
Publication Year2015
Total Pages246
LanguageEnglish, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_English & Book_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy