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________________ (६) समभिरूढ़नय-जो विचार शब्द के रूढ अर्थ पर निर्भर नही रहकर व्युत्पत्ति के अनुसार समान अर्थ वाले शब्दो मे भी भेद करता है, वह समभिरूढनय है। (७) एवंभूतनय-शब्दार्थ के अनुसार क्रिया होने पर ही उस वस्तु को तद्प स्वीकार करता है। ये चारो उत्तरोत्तर सकुचित है। इन्हे पर्यायार्थिकनय कहा जाता है। प्रस्तुत सूत्रो मे नयप्रमाण को तीन दृष्टान्तों द्वारा समझाया गया है। उस समय मगध देश मे प्रचलित धान्य मापने के एक ‘पात्र' को प्रस्थक कहा जाता था। कल्पना करो कोई व्यक्ति 'प्रस्थक' बनाने के उद्देश्य से काठ लाने के लिए जंगल मे जाता है। कोई रास्ते मे उसे पूछता है-“तुम कहाँ जा रहे हो?" वह कहता है-"मै प्रस्थक के लिए जा रहा हूँ।" अविशुद्ध नैगमनय की दृष्टि से उसका यह उत्तर सही है। काठ कारण है और प्रस्थक कार्य है। कारण मे कार्य का उपचार करना, यह नैगमनय का विषय है। ___ काष्ठ काटते समय पूछने पर वह कहता है-“मै प्रस्थक काट रहा हूँ।" यह कथन विशुद्ध नैगमनय है। काष्ठ काटने और प्रस्थक बनाने में पहले की अपेक्षा कछ निकटता है। काठ को छीलते समय-"मै प्रस्थक को छील रहा हूँ।" यह उत्तर विशुद्धतर नैगमनय है। ___ व्यवहारनय नैगमनय के समान ही है। किन्तु सग्रहनय के अनुसार जो प्रस्थक धान्य से भरा हो, उसे ही प्रस्थक कहना चाहिए। ___ ऋजुसूत्र के अनुसार प्रस्थक और उसके द्वारा मापी गई वस्तु दोनो को ही प्रस्थक कहा जा सकता है। अन्तिम तीनो शब्दनयो के अनुसार प्रस्थक के अर्थ को जानने वाला ही वास्तव मे प्रस्थक कहलाता है अथवा उसके उपयोग-चैतन्य व्यापार को ही प्रस्थक माना जा सकता है। प्रस्तुत सूत्र मे नयो की परिभाषा नही करके नयो का प्रयोजन तथा उपयोग की दृष्टि से वर्णन है, जिसमे प्रस्थक, वसति और प्रदेश के तीन दृष्टान्त देकर नय शैली को उदाहरणो के साथ स्पष्ट कर दिया है। PRASTHAK DRISTANT 474. (Q.) What is this prasthak dristant (example of wooden measuring pot) ? (Ans.) Prasthak dristant (example of wooden measuring pot) is : For instance, a person goes into a forest carrying an axe. On seeing him someone asks—“Where do you go ?" He answers from avishuddha Naigam naya (the ambiguous co-ordinated viewpoint)—“I go for a prasthak.” (it is a wooden measuring pot used as a measure for cereals in the Magadh country during that period). ____Later, seeing him cutting a tree someone asks—"What do you cut ? He answers from vishuddha Naigam naya (the नयप्रमाण-प्रकरण (319) The Discussion on Naya Pramana Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007656
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2001
Total Pages627
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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