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________________ 步步步步步 SSSESESE5SE $555555555步助步步步步步步步步与货岁岁岁岁金 #1 neffected by down pour from rain clouds (ghan), 2. Earthen pitcher, 3. Sieve, 4. Filter, 5. Swan, 6. Buffalo, 7. Ram, v B. Mosquito, 9. Leech, 10. Cat, 11. Rat, 12. Cow, 13. Trumpet, and 14. Ahir. विवेचन-ज्ञान के विषय में यह सर्वमान्य नियम है कि ज्ञानदान सुपात्र को होना चाहिए, कपात्र को नहीं। श्रुतज्ञान के विषय में भी यही नियम मान्य है। दुष्ट, मूढ़, कुण्ठित, हठी, अविनीत, विषयानुरक्त आदि दुर्गुण सम्पन्न व्यक्ति ज्ञान का दुरुपयोग करता है। अतः वह फ अनधिकारी है। जिसमें रुचि, जिज्ञासा, लगन, विनय, चारित्र आदि गुण हैं वह श्रुतज्ञान का अधिकारी है। सूत्रकार ने श्रोता के गुण-दोषों को १४ उदाहरणों व दृष्टान्तों से स्पष्ट क किया है-(देखें चित्र ५) (१) शैल-घन-मुद्ग शैल नामक एक पत्थर होता है जो मूंग जैसा चिकना होता है और जिस पर एक सप्ताह तक निरन्तर वर्षा होती रहे तब भी पानी उसके भीतर पैठता नहीं। वर्षों पानी के भीतर पड़ा रहे तब भी तनिक भी आर्द्र या नम नहीं होता। इस पत्थर के समान गुणों वाले + श्रोता को निरन्तर वर्षों तक उपदेश मिलता रहे तब भी वह तनिक भी सन्मार्ग की ओर प्रेरित नहीं होता। वह गोशालक व जमालि के समान दुराग्रही और शट स्वभाव का होता है, जिन्हें स्वयं ॐ भगवान महावीर भी सन्मार्ग पर नहीं ला सके। ऐसे रावण और दुर्योधन जैसे जिद्दी स्वभाव वाले श्रोता कुपात्र तथा त्याज्य होते हैं। (२) कुटक-घट अथवा घड़ा। ये दो प्रकार के होते हैं-कच्चा और पक्का। जो घड़ा केवल धूप में सुखाया जाता है वह कच्चा होता है और जल भरने के लिए सर्वथा अयोग्य; क्योंकि जल 卐 भरने से वह बिखर जाता है और जल बाहर बह जाता है। ऐसे स्वभाव वाला दुधमुँहा शिशु अथवा वैसे शिशु जैसे ही अविकसित-अपरिपक्व मस्तिष्क वाला श्रोता श्रुतज्ञान के लिए सर्वथा अयोग्य होता है। ___ पक्का घड़ा दो प्रकार का होता है-नया और पुराना। नया घड़ा पानी भरने के लिए सर्वथा । उपयुक्त होता है। उसमें भरे पानी में अनायास विकृति नहीं आती तथा वह पानी प्यास मिटाने के लिए शीतल व उपयोगी होता है। ऐसे ही स्वभाव वाला श्रोता जो परिपक्व बुद्धि वाला तो हो, 卐 किन्तु अन्य ज्ञान अथवा सूचना ग्रहण कर पुराना या विकारग्रस्त न हो गया हो, श्रुतज्ञान देने के लिए श्रेष्ठ सुपात्र होता है। पुराना घड़ा दो प्रकार का होता है। एक वह जो पुराना तो है किन्तु पानी भरने के उपयोग 5 में नहीं लाया गया है। ऐसा घड़ा अपने पूर्ण गुण नहीं खोता। उसमें भरा पानी स्वच्छ व शीतल म रहता है। ऐसे ही स्वभाव वाला श्रोता जो वयस्क तो हो चुका किन्तु दुराग्रह अथवा मिथ्यात्व से अछूता रहा है वह भी सुपात्र है, श्रुतज्ञान प्रदान करने योग्य है। )SS $5乐乐乐听听听听听听听听听听听听听 )))))))) 听听听听听听听听 श्रोता के प्रकार Type of Listeners 中醫聯断货男写贤听听听听听听听听听听听听听发给写出 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007652
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1998
Total Pages542
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_nandisutra
File Size19 MB
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