________________
acti
नवम अध्ययन : माकन्दी
( २७ )
a stream, got into it and bathed. They collected different species of lotus flowers including Utpal, Nalin, Subhag, etc. and entered the Yaksh temple. Standing before the idol they offered salutations and then bending their knees and joining their palms they started worshiping the deity in the prescribed manner.
सूत्र ३३ : तए णं से सेलए जक्खे आगयसमए पत्तसमए एवं वयासी - 'कं तारयामि ? कं पालयामि ? '
तए णं ते मागंदियदारया उट्ठाए उहेंति, करयल जाव एवं वयासी - ' अम्हे तारयाहि । अम्हे पालयाहि ।'
तण णं से सेलए जक्खे ते मागंदियदारए एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुब्भे मए सद्धिं लवणसमुद्देणं मज्झमज्झेणं वीइवयमाणेणं सा रयणद्दीवदेवया पावा चंडा रुद्दा खुद्दा साहसिया बहूहिं खरएहि य मउएहि य अणुलोमेहि य पडिलोमेहि य सिंगारेहि य कलुणेहि य उवसग्गेहि य उवसग्गं करेहि । तं जइ णं तुब्भे देवाणुपिया ! रयणद्दीवदेवयाए एयमहं आढाह वा परियाणह वा अवएक्खह वा तो भे अहं पिट्ठातो विधुणामि । अह णं तुब्भे रयणद्दीवदेवयाए एयम णो आढाह, णो परियाणह, णो अवेक्खह, तो भे रयणद्दीवदेवयाहत्थाओ साहत्थि णित्थारेमि ।'
सूत्र ३३ : तब वहाँ निश्चित समय आने पर शैलक यक्ष ने पुकारा - " किसका तारण करूँ ? किसका पालन करूँ ?"
मादी पुत्र खडे हुए और हाथ जोड़कर बोले - " हमारा तारण करिए, हमारा पालन करिए !"
इस पर शैलक यक्ष ने कहा, "देवानुप्रियो ! जब तुम मेरे साथ लवणसमुद्र के मध्य पहुँचोगे तब वह पापिनी, चण्ड, रुद्र, क्षुद्र और साहसी देवी तुम्हें अनेक प्रकार के कठोर, कोमल, अनुकूल, प्रतिकूल, सुन्दर तथा मोहक उपायों से डिगाने का प्रयत्न करेगी । हे देवानुप्रियो ! यदि तुम उस देवी के आग्रह का आदर करोगे, स्वीकार करोगे या आकर्षित भी हो जाओगे, तो मैं तुम्हें अपनी पीठ से नीचे गिरा दूंगा। और यदि तुमने वैसा नहीं किया, उसकी ओर आकर्षित नहीं हुए तो मैं अवश्य स्वयं ही रत्नद्वीप की देवी के चंगुल से तुम्हें छुटकारा दिला दूँगा।”
33. At the fixed time the Yaksh called-"Who needs my protection? Who needs freedom?"
The sons of Makandi stood up and with joined palms submitted, "Protect us! Free us!"
At this request Shailak Yaksh said, "Beloved of gods! When you are half way through the sea with me that sinful, violent, vicious, mean and bold evil
( 27 )
CHAPTER-9: MAKANDI
Jain Education International
For Private Personal Use Only
www.jainelibrary.org