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________________ STTTerenuruna v usi र ( ३१२ ) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा 15 सूत्र २१ : “देवानुप्रियो ! राजगृह नगर में धन्य नामका एक धनाढ्य सार्थवाह रहता है। दा र उसकी पुत्री, भद्रा की आत्मजा और पाँच पुत्रों के बाद जन्मी हुई सुंसुमा नामक एक पुत्री है। वह डा र पंचेन्द्रिय परिपूर्ण तथा सुन्दर रूप वाली है। हे देवानुप्रियो ! हम लोग चलकर धन्य सार्थवाह को , 15 लूटें। उस लूट में मिलने वाला सारा धन, सोना आदि माल तुम्हारा होगा, केवल सुंसुमा नाम की ८ र कन्या मेरी होगी।" 15 सभी पाँच सौ चोरों ने चिलात का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 15 RAID ON DHANYA'S HOUSE ? 21. "Beloved of gods! A wealthy merchant named Dhanya lives in 5 Rajagriha. 15 Dhanya and his wife Bhadra have a daughter named Sumsuma who was c > born after her five brothers. She is beautiful and perfectly proportioned. Beloved of gods! We should go and raid Dhanya merchant. All the loot 5 including gold and wealth will be yours and only Sumsuma will be mine." All the five hundred thieves accepted Chilat's proposal. सूत्र २२ : तए णं से चिलाए चोरसेणावई तेहिं पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं अल्लं चम्मं दुरूहइ, ही 5 पच्चावरण्हकालसमयंसि पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणे माइय-गोमुहिएहिंद र फलएहिं, णिक्कट्ठाहिं असिलट्ठीहिं, अंसगएहिं तोणेहिं, सज्जीवेहिं धणूहि, समुक्खित्तेहिं सरेहिंड 15 समुल्लालियाहिं दाहाहिं, ओसारियाहिं ऊरुघंटियाहिं, छिप्पतूरेहिं वज्जमाणेहि महया महया ट 12 उक्किट्ठसीहणाय जाव समुद्दरवभूयं करेमाणा सीहगुहाओ चोरपल्लीओ पडिणिक्खमइ, S 15 पडिणिक्खमित्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रायगिहस्स अदूरसामंते टी र एगं महं गहणं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता दिवसं खवेमाणो चिट्ठइ। 15 सूत्र २२ : तब पाँच सौ साथियों सहित शुभ शकुन के निमित्त चिलात चोर सेनापति गीले चमड़े ट र के आसनों पर बैठा। दिन के अन्तिम प्रहर में वे सभी कवच धारण कर तैयार हुए। आयुध और डा र प्रहरण धारण किये। गोमुख ढाल लिए और तलवारें म्यान से बाहर निकाल ली। कन्धों पर तर्कश 15 लटकाये और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा कर बाण बाहर निकाल लिए। बछियाँ और भाले उछालने लगे। टा र जाँघों पर बाँधी हुई घण्टियाँ लटका ली। और तब बाजे बजने लगे। उच्च स्वर में तीव्र सिंहनाद और दा र बोलने के संयुक्त निनाद से ऐसा लगने लगा जैसे यहाँ समुद्र में लहरों का गर्जन हो रहा हो। ऐसेड 5 कोलाहल के साथ वह समूह सिंह गुफा से बाहर निकला और राजगृह की ओर चला। नगर से कुछ ट र दूर एक सघन वन में वे सब चोर प्रवेश कर गये और सूर्यास्त की प्रतीक्षा करने लगे। दा B 22. After this, for the purpose of an auspicious launching of the project, J 15 Chilat and his gang of five hundred thieves sat on wet leather mattresses. टा 15 (312) JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007651
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1997
Total Pages467
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_gyatadharmkatha
File Size13 MB
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