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________________ मुणिणा हु एयं पवेइयं। अणोहंतरा एए, णो य ओहं तरित्तए। अतीरंगमा एए, णो य तीरं गमित्तए। अपारंगमा एए, णो य पारं गमित्तए। आयाणिज्जं च आयाय तम्मि ठाणे ण चिट्ठइ। वितहं पप्पऽखेयण्णे तम्मि ठाणम्मि चिट्ठइ॥ ८०. जो परिग्रह में आसक्त होता है, वह द्विपद (मनुष्य-कर्मचारी) और चतुष्पद (पशु By आदि) का परिग्रह करके जबर्दस्ती अपना काम करवाता है। फिर धन का संग्रह-संचय करता है। फिर त्रिविध (अपने, दूसरों के और दोनों के सम्मिलित) प्रयत्नों से (अथवा अपनी पूर्जित पूँजी, दूसरों का श्रम तथा बुद्धि-तीनों के सहयोग से) उसके पास अल्प या बहुत मात्रा में धन संग्रह हो जाता है। ____ वह उस धन में गृद्ध-आसक्त हो जाता है और भोग के लिए उसकी रखवाली करता है। " भोगोपभोग करने के बाद बची हुई विपुल अर्थ-सम्पदा से वह महान् उपकरण वाला संपत्तिशाली बन जाता है। ___ एक समय ऐसा आता है, जब उस संचित सम्पत्ति में से दामाद, बेटे, पोते हिस्सा बँटा लेते हैं, चोर चुरा लेते हैं, राजा उसे छीन लेते हैं। या वह नष्ट-विनष्ट हो जाती है। या कभी गृह-दाह-आग लगने से जलकर समाप्त हो जाती है। इस प्रकार दूसरों के लिए क्रूर कर्म करता हुआ वह अज्ञानी पुरुष अपने स्वयं के लिए दुःख उत्पन्न करता है, फिर उस दुःख से मूढ़ हो वह (सुख की खोज करता है, किन्तु * अन्त में उसके हाथ दुःख ही लगता है इस प्रकार) विपर्यास भाव को प्राप्त होता है। भगवान ने यह सत्य प्रकट किया है (जो क्रूर कर्म करता है, वह मूढ़ होता है। मूढ़ मनुष्य सुख की खोज में बार-बार दुःख प्राप्त करता है।) ये मूढ़ मनुष्य ओघ (संसार-प्रवाह) को तैरने में समर्थ नहीं होते। (वे प्रव्रज्या लेने में असमर्थ रहते हैं।) र वे अतीरंगम हैं अर्थात् तीर-किनारे तक पहुँचने में (मोह-कर्म का क्षय करने में) * समर्थ नहीं होते। वे अपारंगम हैं, पार (संसार के उस पार-निर्वाण तक) पहुँचने में समर्थ नहीं होते। लोक-विजय : द्वितीय अध्ययन (१०३ ) Lok Vijaya : Second Chapter Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007646
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1999
Total Pages569
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_acharang
File Size21 MB
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