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________________ १४२ १४३ १४४ १४५ १४६ Begins टी० || उ नमः परमात्मने ॥ - प्रथ नमः समयसाराय स्वानुभूत्याचकाशते ॥ विश्वभावाय भावाय सर्व्वभावान्तरछिदे || १ ॥ मू॰ वंदित्तु सत्र्वसिद्धेनुवमचम [व] णोव [ग] मं गई पत्ते ॥ वो छामि समयपाहुडमिणमो सुअकेवलीभणियम् || १ || Ends उदितममृतचंद्र ज्योतिरेतत्समंताज्जलतु विमलपूर्ण निःसपत्नस्वभावम् || इति समयसारब्याख्यायामात्मख्यातौ नवमकः यस्मा .. नकिंचित्कलः इत्यात्मख्यातिनामसमयसार व्याख्या समाप्ता ॥ महानिशीथसूत्रम् . |Begins ॥ ॐ नमो तित्थस्स उ नमो अरहंताणं । सुयं मे आउस तेणं भगवया एवमख्खायं इह खलु छउमत्थसंजम किरियाए वढ्ढमाणे Ends भवइ || ५ || चत्तारि सहस्साईं पंचसयार्ड तहेव चत्तारि सिलोगा चिय महानिसीहंरि पाएण ग्रंथाग्रं ४५५४ महानिर्शार्थं समाप्तम् ॥ आल्ही आभिणि सेयत्थ पुत्थिया सिरिमहा निसीहस्स || रूपलसुखावियाए लिहाविया तेरसत्तरसे || तदेव तदेव विषष्टिशलाकापुरुषचरित्रस्य प्रथमं पर्व वृहज्जातकम् |Begins ॥ उ नमः सूर्याय || मूर्त्तित्वे परिकल्पितः शशिभृतोवर्मा पुनर्जन्मना हेमचंद्रः वराहमिहिरः २४३ २३९ २२० ५१२ ६० ५ ५८ | १३१७ S ३-६ ४८ :::: ( 87 )
SR No.007578
Book TitleOperation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP Piterson
PublisherRoyal Asiatic Society
Publication Year1883
Total Pages275
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & Catalogue
File Size115 MB
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