SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 196
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७५ 96 ७७ Ends एक दशविध धर्मः सर्वज्ञैः परिकीर्तितः ॥ ज्ञान्वा चैव हि कृत्वा च गर्छति परमां गतिम् ॥ धर्मलक्षणं समानम् || - शान्तिस्तवः Begins शांति शांतिनिशांतं शांतं शांताशिवं नमस्कृत्य || स्तोतुः शांतिनिमित्तं मंत्रपदैः शांतये स्तौमि || १॥ कालिकाचार्यकथा - मागधी....... Begins || अत्थि इह जंबुद्दीवे भारहे धारावासं नाम नयरं तत्थ वईरसीहो नाम राया Ends गर्ड सटाने सूरें दो सूरी चित्र कालेणं जाणित्ता निययं ॥ आउपरिमाणं संलेइण विहेऊण अणसणविहिणा दिवं पत्तो || श्रीमत्कालिकाचार्यकथा समाना ॥ दशवैकालिकसूत्रस्य निर्युक्तिः Begins || नमः सर्व्वज्ञाय || सिद्धिगमुवगाणं वृहत्संग्रहणी Begins || नमो वीतरागाय ॥ निविय अठकम्मं वीरं नमिऊणतियरणविमुद्धम् || णागमनं तमहत्थं ता [संगह ] णित्ति नामेणम् || १ || मानदेवसूरिः ...... जिनभद्रगणिः : ७४ % ३-५ ४० २-३ ४० na 2 ... : ( 51 )
SR No.007578
Book TitleOperation In Search of Sanskrit Manuscripts in Mumbai Circle 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorP Piterson
PublisherRoyal Asiatic Society
Publication Year1883
Total Pages275
LanguageEnglish
ClassificationBook_English & Catalogue
File Size115 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy