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________________ पत्राक निर्णय ५६९ विपय और प्रश्नादि पत्राक विषय और प्रश्नादि माकारापयुक्त शुनाकारापयुक्त नी उसीतरह ५६७ / एव नारकी सुरकुमार याय स्तनितकुमार बनस्थ आहारक प्रश्न , केवलि थाहारक तथा पयन्स , पृथिवीकाय मिथ्यादृष्टि हो है, एवं धन अनाहारक काल ५६८ | स्पतिकाय पर्यन्त कहना , द्वीन्द्रिय मिश्रदृष्टि नापफ थनापक प्रश्न, काय परित्त अपरिप्त काल नही है एव चौरिन्द्रिय पर्यन्त कहा , पचेन्द्रिय तियय जोतिपी मनुष्य वानष्यन्तर धैमानिक | पर्याप्त थपर्याप्त नो पर्याप्त नो अपर्याप्त सूक्ष्म तीनों है , सिझ सम्यग्दृष्टि हैं| ५७३ / यादर सज्ञी असझी ५७१ । (१९ वा सम्यक्त पद कहा) सिद्धिक एनसिफिक घरम अचरम फाल निर्णय ५७२ २० वा पद कहते हैं। *. (१८वा पद समाप्त जा) नेय आंतकिरिया यह द्वार गाया--जीव, ehar क्रिया करे एवं नारफी यवमानिक नारकी भारकी में अन्तक्रिया करे नही ५७५ अष्ट नारकी समरकुमार में अन्तक्रिया कर एव याय - TWEATH. KAL
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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