SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय और प्रश्नादि जीवका पनरह प्रकार उपयोग है। नारकी को ग्यारष्ठ भेदे है। एव असुरकुमार पर्यन्त कहना पृथिवीकाय को तीन उपयोग । एव वनस्पति पत्राक पर्यन्त कहा ४६१ धायुकाय को ५ उपयोग । बेरिन्द्री को चार प्र कार एवं चौरिंद्री पर्यन्त पर्वेद्रियतिर्यच को तेरह प्रकार है| ४६२ লটি मनुष्य को पनरह उपयोग । वानव्यन्तर जीति वैमानिक को जैसे नारकी को कहा । जीव 'क्यों सत्यमनप्रयोगी यावत्क्या कार्मण शरीर कामयोगी इत्यादि मांगे "सत्यतप्रयोग इत्यादि । एवं अं पर्यन्त कहा कडे ४६३ विषय और ममनादि । थिवीकाय क्या मौदारिकशरीरकायप्रयोगीमौदारिक मिश्रशरीरकायप्रयोगी के कार्मणश काय प्रयोग एव वनस्पतिकाय पर्यन्त प्रश्नो तर कहा । वायुको वैक्रियमिश्रशरीरकाय --- प्रयोग है। ४६४ द्वीन्द्रिय क्या प्रदारिकशरीरकायप्रयोगो यायत् या कार्मणशरीरायप्रयोगी है । एव चौरि द्विय पर्यन्त कहा ४६५ पर्चेद्रिय तिर्येच जैसे नारकी भेद यह के योदा रिफशरीरकायप्रयोग योवारिक मिश्रवारी रकाय प्रयोग भी है कायप्रयोग निर्णय त्रियोग ३२ चतु सयोगी १६ सर्व ०० ४६५० ध्यानव्यन्तर जोतिषी वैमानिक जैसे असुरकुमार' पत्राक
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy