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________________ पत्राक विषय और प्रश्नादि विपय और प्रश्नादि पत्राक पानव्यन्तर जोतिषी सौधम छादि यायत् श्चनुप्तर। पृथिवीकाय कहा से उपज इत्यादि वक्तव्यता | ३०१ विमान देव एक समय में कितने उपजे| २९४ एव थप् तेज वायु वनस्पत्ति काय नी कहा ३०७ सिष्ठ एक समय में कितने सीके २९५ घेरिद्री तेरिद्री चौरिद्री जैसे तेजो वायु कहे नारकी एफसमय में कितने चव इत्यादि जैसे| तैसे देव धर्ज जानना ३०७ उपपात कहा से धवन सिछो को बोझ के कहना पर्चेद्रिय तियच योनिक कहा से उपने इत्यादि ___ यावत् धनुप्तरोपपात के देव पयत कहा| २९५ निर्णय ३०७ (१छार पूर्ण जमा) मनुष्य कहां से उपजे, ३०८ निरिकी कहा से उपजे , पपा नारफी से उपजे ति पानव्यन्तर देवता कहां से उपजे ३०९ ... बैंच से मनुष्य से देव से उपजे| २९५ एवं धैमानिक देय घक्तध्यताधिकार रखमजी का नारफी कहा से उपजे इस्पादि सात ३०९ धेयक देव, थनुधर विमान देव एक समय में SIRE... नरक के नारकी का अधिकार ३०१ फिर्तन उपजेश माद्वार पूर्ण जश) HTTP नितकुमार पर्यंत ३० नारकी नन्तर निकल के कहा जाय कहा उपजे| ३१२ भरकमार कहा से अस्पादियावंत
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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