SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पत्राक विषय और प्रश्नादि (पाधमा पद पूर्ण हुआ) ॥ छठा पद भारम्भ ॥ मरफ गति में कितने काल विरह है उपपासका २८६ तिथंच गप्ति मे कितना विरह उपपास में २८६ मनुप्प गति , देवगति, और सिद्धिगति मे उप जने का कितना यिरह २८६ एवं उद्वर्त्तना मी चारों गति में कहना | २८७ रनामा श्रादि सात नरफ पृथियो मे उपपात पिरह फाल| २८७ सुरफुमार आदि यायरस्तनितकुमार पर्यन्त्र - 1 उपपात विरहको विपय और प्रश्नादि पत्राक एव अप् तेज वायु पनस्पतिकाय उपपात पि| रहकाल| २८९ द्वीन्द्रिय उपपात विरहकाल, पोन्द्रिय चतुरि न्द्रिय उपपात घिरह| २८९ सम्मच्छिम पचेंद्रिय तिर्यंच उपपात घिरहकाल २८९ गर्भव्युत्क्रान्तिक पर्चेद्रिय तियच उपपात विर हकाल| २८९ सम्मूच्छिम तथागर्मज मनुष्य उत्पति धिरहाफार २८९ सौधर्म आदि १२ देवलोक दयात्पति विरह यकवनाम डाधिकाri A pecha परहतियाबिजया - - जयन्त जयन्त अपराजित देवलोक देयोप पात विरहकालाधिकार २९१ | CON
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy