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________________ दयफसए एष सेस जहा सणकुमारदेवाण जाध विहरति माहिद उत्य देवि देवराया परिवसह थरयंवर पत्यघरे एव जहा सणकुमारे जाघ विहरइ नबर वठण्ह विमाणावाससयसहस्साण सत्तरीए सामाणिय साहस्सीण घउबह सप्तरीण शायररकदेवसाहस्सीण आय विहरड । कहिण जत । घनलोगदेवाण पत्र प्ता २ ण ठाणा पसत्ता । कहिण नत । यललोगा देवा परिवसति ? गो० । सणकुमारमाहिदाण फप्पा ण उप्पि सपरिक सपफिदिसि यह जोयणाइ जाव उप्पहत्ता एत्यण यनलोए नाम कप्पे पाईणपळीणा यते उदीणदाहिणविच्छिने पमिपुलचदसठाणसठिए शच्चिमालीनासरासिप्पने शयसेस जहा सणकुमा राण नवर चत्तारि विमाणावाससयसहस्सा यासगा जहा सोहम्मस्स वासया नयर मज्जे इत्य बन्नलोयष कसए एत्यण बनलोगाण देवाण ठाणा प०, सेस तहेव जाप विहरति। बने इत्य देविद देवराया परियस इश्वरयपरयत्यधरे एव जहा सणकुमारे जाय विहरति नवर चउरह विमाणावाससयसहस्साण सष्ठीए माकुमारे करप यावादपति भवरमटाना बिमामावासशतमासाणा सप्तति सामामिबसाना चतुणा (चतर्गपामा) सप्तस्यात्मरक्षणदेवसर सावा (शीत्यधिकशतापात्मरक्षक देवमासावामित्यर्थ ) पावहिरति । नवप्त । प्रासोबदेवामा पर्याप्तापर्याप्तामा स्यानामि प्रतानि, प्रदमा मझलोका देवा परिवमान्त गौतम । सनकुमारमा इन्द्रसम्पपोसपरि सपा सप्रतिाव पनि पोजनामि यावदुत्पत्या प्रमतोल नामसप Bua प्राचीमपतीचीमायतमुत्तरपिकविता प्रतिपूरचमासस्थानसस्थित पचिर्मातामाराशिमन अवशष यथा सनत्कुमारा मय र चत्वारि विमानावासयवसानाविपतमका या सौधमस्यावतसक्षा मर मध्य प्रलोचावतसबोर प्रसोबाना दवामा खानामिन पतानि शेप तव पावहिरन्ति तलाच देवन्द्रो देवराब परिवसात परबोम्बरवरपर एव पथा सनत्कुमारे यावद्विारवि नवर चतुदी वि
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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