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________________ गा इसा क्लहसा पायसा रायहसा एका सेमीवगा घलागा पारिष्पत्रा कुचा सारसा मेरा मसूरा मऊ रा सप्तयच्छा गहरा पोहरीया कागा कामियुगा घजुलगा तिप्तिरा घट्टमा लावगा कधीया कषिजला परि घया चिऊगा चासा कुकुका सुगा वरहिणा मदप्पसला कोकिला संरहा घरेल्लगमादी । सन्त लोमपस्की । से कित समुम्गपरकी २ एगागारा प०, तेण नस्थि डह बाहिरएस दीयसमुद्देसु भवति । सेत्त समुम्गपस्की । से फित विततपस्की २ एगागारा प०, तण नरिय इह बाहिरएस दीसमुद्देसु द्ववति । संत विततपस्की । तेस मात्रा प०, स० समुच्छिमा य गनत्रकृतिया य । तत्यण जेते समुच्छिमा तस नपुसगा तत्यण खेते गम्यत्रष्कृतिया तण तिषिष्ठा प० त० त्यी पुरिसा नपुसगा। एएसिण एत्रमाङयाण सहयरपचिदि यतिरिक्कजोणियाण पज्जप्त। पप्राण वारस आइकुलको निजी णिप्पमुहसय सहस्सा हवती तिमस्काय, सप्तठ " हंसाः रामहाः प्रहार सेडोबा बकुलाः पारिश्याः कुन्हा सारसाः मसर मसूराः मपूरा द्वाववत्सा। पहर पोपवरीकाम यागम प-कार विधिरा। वर्तकाः सावकार कपाताः कपिकताः परिवार चटकार पानवाला पावते सोमपञ्चयाः। श्रच कतिविषाः समुङ्गपक्षिक समुद्रपतिका मनमा वामकु धर्व समुद्रपचिप बातिविषाविद्रवपदा पिममुत्रेषु विमान त्रिति महिमास्ते सर्वे मधुमकाः । तत्र यते नमपुरका ला त्रिविधा गया कि पुरुषबाद पतेाममाद परंपपतिर्यक्पनिकानापर्यासाचताना द्वादशजातिकुल कोटिममापि भवन्यादि धात्पादम् बप्तजाति कुलोटयो प्रवन्ति नवार्धत्रपादानि चैव ॥ दमदम च प्रयति नावाचा हा
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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