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________________ रायपसैणी। जाव उवविणे त माग गातुया तुमपि भवाहि अधमिजाव नोसम्म करभरविति पवत्त हिमाण तुमविएव चैवमू बहूपावकम्म जाव उववभिाहिसि तजयागा से प्रज्जए सम्म आगतु एववएउमा ततोण अह सहेमा पत्तिएज्मा रोएज्मा जहा अणोजीवो पन्न सरीर नोतज्झीवा तसरीर जहाणसे अज्झवे मम आगत्तनो एव व्याप्सी तमोसुपतिट्ठियामेपणा समणाउ सोजहातज्जीवो त सरीर णो अनो जीवो अन्न सरीर ततेण केसीकुमार समणे पर्देसि राय एववयासी अत्थिण पदेसी तव सूरिय कता नामादेवी इता अत्यि जयाग तुम्ह पदेसित सूरिय कत देव पहाय कयवलिकम्म कयकोउ मगनपारच्छित सव्वालकार विभूसिय केणति पुरिसेण पहारण एसप्यमाणे इति एतत्प्रमाण यथा प्रमाण प्रत्यक्षाद्य विसम्वादीति भाव'। एस समोसरण इति एतत् समवसरण समवप्तरण नाम बहूनामेकवमीलनम्। सर्वेपामपि तत्वानामस्मिन्नेवाभ्युपगमे सललनमिति भाव' । इ8 कन्तपिप इत्यादि । इप्टइत्याविषयत्वात्। कान्तकमनीयतमत्वात, प्रिय' थेमनिवन्धतत्वात् मनोजो मनसासम्यगुपादेय वया भातत्वात् मनसा अम्यते गम्यते इति मनोमा जलधधर्मयाएसियधामिष्टमयाए नधी करभर आजीविकामति प्रवत्तावछतुतमधाकरिमाडि पोबावुहीपसिमाहरिपरि घणु पापकमदरी नरकि ऊपजेसह तउनउ तेह जुमुझनदू पावीनर दूमकहि तउ ह सहितउज पुतितिआणतुज आत्मासाधिरोचवतउतहसरीरघकी चनेर उजीव अनजीवधकी अनेरु सरीर नहीसरीरतेजीव अनजीवतेसरीर जेणइकारण पान मुझनर याबीनद दूमकहिउहू तउ तेगइशारणइमाची माहरीपज्ञाविकालकीबुद्दिथमणी आउपावती जीबदकारणदूसरीरतेजीव जीवतमरीर नहीअनेरउजीव अनेरुसरीर प्रदेसइदमकहीपछी कैसी कमार श्रमण प्रदेसी राजापति एमबील्याछ हेपदेसी ताहर मूरियक्ता नाम देवा देसीकहर छद हाछजिद्धार तुम्हारी हेपदेसी तेनूरियकतादेवीद स्नानकीधूछ घरनादेवपूजाशेज्ञेषीर कीरिकीतुकामिपीतिलकादिकमडलतदधिपूपादिक्तेहान पायछित्तदुस्वएवयातनामिवर मर्व अलकारदकरीविभूखित एहवीमूरियकता कोइकपुरुषद् स्नानकीधा सायद सर्वअलकारविभू पित माधिमनोभीप्टसन्द फरिसरवगध एहयाचवधि मनूष्यसवधि कामभोग भीगवतुथक तुतेपुरुष नइते इन पदेसो पुमपना कुबदडपति निवत्वावदेइत्यर्थ पुदेसीकहइछद हू हेपूज्यतेपुरुष पुति हायर्शदाबाजेहनीएइबुकरउ पगछेदउ मूलाइपरतउकरउ मूलीभेदउ एकजघातकरी
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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